गुंजन मिश्रा बने इकोसाइड संस्था के सदस्य

चित्रकूट

जन मिश्रा पर्यावरणविद को इकोसाइड संस्था नीदरलैंड का भारत से प्रथम स्वमसेवी सदस्य बनाया गया है| अब गुंजन मिश्रा भारत में इकोसाइड प्रतिनिधि के रूप में विश्व के सबसे शक्तिशाली कानून रोम संविधि दुनिया के सबसे शक्तिशाली दस्तावेजों में से एक है, जो अन्य सभी कानूनों के ऊपर है। वह अपराध जो की विश्व शांति के खिलाफ है पहले से रोम संविधि के अनुच्छेद 5 के तहत अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में सामूहिक रूप से अपराध के रूप में माना जाता है। न्यायालय के पास निम्नलिखित अपराधों के संबंध में इस क़ानून के अनुसार क्षेत्राधिकार है| नरसंहार का अपराध,  मानवता के खिलाफ अपराध,  युद्ध अपराध,  आक्रमण का अपराध। उन्होने इकोसाइड को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय में अपराध के रूप में शामिल किया जाय। इसको लेकर अपनी राय व सेवाएं देंगे | यह चित्रकूट के लिए खासतौर पर महात्मा  गाँधी चित्रकूट विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में डॉ गुरुदास अग्रवाल के छात्र गुंजन मिश्रा को विश्व स्तर पर पर्यावरण की रक्षा हेतु कार्य करने का मौका मिला | उन्होने कि अगर वो धरती के किसी भी हिस्से को, नदियों, जंगल आदि को अगर पर्यावरणीय स्तर पर सुरक्षित रखने के लिए किसी भी प्रकार की कोशिश में कामयाब होते है, तो यह डॉ जी डी अग्रवाल को उनकी तरफ से गुरुदक्षिणा एवं सच्ची श्रंद्धाजलि होगी | जिन्होंने गंगा की रक्षा के लिए अपने प्राणो का बलिदान दे दिया | गुंजन मिश्रा पर्यावरण विद, ने १९९४ – ९५ में  नाना जी देशमुख द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय से पर्यावरण में स्नातकोत्तर करने के बाद सीमेंट, स्टील, जलविद्युत, पेपर उद्योगों में जल, हवा, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व  अन्य पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित मुद्दों पर कार्य किया | इसके अलावा आप अंतर्राष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पारिस्थितिकी अनुसंधान, वाटर कीपर अलाइंस, वाटर ऐड आदि संस्थाओं में भी अपनी सेवाएं देते हुए केन-बेतवा, शारदा – यमुना और चंबल-पार्वती- कालीसिंध नदियों को जोड़ने पर पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययन, ओडिशा के सभी जिलों में ग्रामीण जल आपूर्ति का आकलन, किसान आत्महत्या, बुंदेलखंड, कच्छ और जैसलमेर में पारंपरिक जल संचयन बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता के संबंध में एशिया में सबसे बड़ा ग्रामीण जलापूर्ति पाठा जल आपूर्ति, जलवायु परिवर्तन शमन के संबंध में तालाबों की भूमिका आदि का अध्ययन किया है | उन्होने विश्व प्रसिद्द पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा, जिनको १९९३ में राइट लाइवलीहुड अवार्ड, जिसे “वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार” के रूप में भी जाना जाता है।  साथ ही  नदियों और किसानो के ऊपर कार्य किया है | उन्होने  गंगा  के अध्धयन के लिए तीन बार गंगोत्री से गंगा सागर तक यात्रा करके जल विद्युत् योजनाओं, गंगा के प्रदुषण व डॉलफिन सैंक्चुअरी पर भी काम किया एवं पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक जैव-विविधता पार्क भी विकसित किया | वह  बीज विद्यापीठ,व किसान स्कूल से भी जुड़े रहे  है | आजकल ईकोसाइड को अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाने पर अध्धयन कर रहे है एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर लेखन का कार्य करते है | गुंजन मिश्रा के अनुसार अभी हाल ही में फ्रांस में इकोसाइड कानून के ऊपर सहमति बन चुकी है एवं ब्राज़ील में भी इसके लिए प्रयास हो रहे है |

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