अपार्टमेंट बनाकर बेचने के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी

कानपुर। अपार्टमेंट बनाने के नाम पर 200 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कोतवाली पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होने से परेशान होकर फ्लैट खरीदने वाले गुरुवार की रात मीडिया के समक्ष आए। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस अबतक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है।

चकेरी स्टेशन रोड निवासी तेज नारायण सिंह ने बताया कि फरवरी 2014 को छोटी धनटौली, नागपुर निवासी परेश भिड़े ने आकर यहां पर 200 करोड़ के प्रोजेक्ट में काम करने का प्रस्ताव रखा। जुलाई 2014 में परेश भिड़े ने कंपनी पंजीकृत कराया और उसका पंजीकृत कार्यालय नागपुर व कॉरपोरेट ऑफिस सिविल लाइंस में खोला गया।

कंपनी के निदेशक मंडल में परेश भिड़े, उनकी बेटी नेहा, तेज नारायण सिंह, अनूप सिंह को शामिल किया गया। उन्होंने 18 बीघा मेहरबानसिंह पुरवा की जमीन कंपनी को दी। यहां पर चार ब्लाक में लगभग 600 अपार्टमेंट बनाने का ब्लू प्रिंट बनाया गया। ब्लाक ‘ए’ में निर्माण कार्य भी शुरू किया गया। वर्ष 2017 में तेजनारायण की जमीन के कागजात रखकर बैंक से छह करोड़ रुपये का ऋण लिया गया। तेज नारायण ने आरोप लगाया कि उनके पास कई फ्लैट की बुकिंग कराने वाले पहुंचे। कई के फ्लैट दो-दो बार बेचे गए। उन पर लोन भी हुआ।

तेजनारायण का कहना है कि लगभग 50 करोड़ आम आदमी से लेकर बुकिंग की बात सामने आई तो पार्टनरशिप खत्म कर दी। कंपनी ने 4.5 करोड़ रुपये के नौ चेक दिए। चेक बाउंस हो गई तो इस मामले में कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया गया। अधिवक्ता के साथ आए फ्लैट खरीदने वाले सतीश गुरनानी, उमेश कुमार श्रीवास्तव, विजय सिंह चंदेल, जदुवीर सिंह, रवि श्रीवास्तव, राकेश शुक्ला, सुनील कुशवाहा आदि ने आरोप लगाया कि फ्लैट का भुगतान करने के बाद भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। एक फ्लैट को कई-कई बार बेचा गया। कई का पैसा वापस किया गया।

कोतवाली प्रभारी निरीक्षक सूर्य बली पाण्डेय ने बताया कि इस संबंध में मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी। आरोप और प्रत्यारोप तो ऐसे मामलों में लगाते हैं, लेकिन साक्ष्य एवं प्रमाण मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी, विवेचना जारी है। इस मामले में न्यायालय में भी परिवाद दाखिल किया गया है।

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