गरीब राज्यों पर फ्री वैक्सीन का बोझ: इन आठ राज्यों को खर्च करना पड़ सकता है स्वास्थ्य बजट का 30%
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर झेल रहे देश के लिए वैक्सीन ही अब सबसे बड़ी उम्मीद है. देश के बीस राज्यों ने अपने नागरिकों को फ्री वैक्सीन लगाने का ऐलान किया है. इन राज्यों में आठ राज्य ऐसे हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. इंडिया स्पेंड में छपी खबर के मुताबिक इन राज्यों को वैक्सीन पर अपने स्वास्थ्य बजट का तीस प्रतिशत तक खर्च करना पड़ा सकता है.
18 साल से 44 साल तक के लोगों को फ्री वैक्सीन का इलाज करने वाले बीस राज्यों में यह आठ ‘गरीब’ राज्य बिहार, छत्तीसगढ़, छारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश हैं. इन राज्यों को कोविशील्ड वैक्सीन के लिए 23% और कोवैक्सीन के लिए 30% तक स्वास्थ्य बजट से खर्च करना पड़ सकता है. देश में इस वक्त कोविशील्ड और कोवैक्सीन वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है.
राज्य | कोविशील्ड के लिए कितना फंड चाहिए | कोवैक्सीन के लिए कितना फंड चाहिए | स्वास्थ्य बजट 2021-22 | स्वास्थ्य बजट का कितते % कोविशील्ड पर खर्च | स्वास्थ्य बजट का कितते % कोवैक्सीन पर खर्च |
बिहार | 2,922.80 | 3,897.07 | 13,012 | 22.46 | 29.95 |
झारखंड | 977.97 | 1,303.96 | 4,445 | 22.00 | 29.34 |
मध्यप्रदेश | 2,139.47 | 2,852.63 | 11,619 | 18.41 | 24.55 |
उत्तर प्रदेश | 5,715.39 | 7,620.52 | 32,009 | 17.86 | 23.81 |
छत्तीसगढ़ | 748.41 | 997.88 | 5,902 | 12.68 | 16.91 |
राजस्थान | 2,023.86 | 2,698.49 | 16,269 | 12.44 | 16.59 |
ओडिशा | 1,113.03 | 1,484.04 | 9,340 | 11.92 | 15.89 |
उत्तराखंड | 307.54 | 410.05 | 3.439 | 8.94 | 11.92 |
जहां एक तरफ केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वो 150 रुपये में सीधे वैक्सीन निर्माताओं से वैक्सीन खरीदेगी. वहीं राज्यों को कोविशील्ड वैक्सीन 300 रुपये प्रति डोज़ और कोवैक्सीन 400 रुपये प्रति डोज़ मिलगी.
देश में तीन अप्रैल तक फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन लगी रही है. इसके बाद केंद्र सरकार ने टीकाकरण को विस्तार देते हुए का इसे सभी वयस्कों के लिए खोल दिया. नई वैक्सीन पॉलिसी के मुतबिक केंद्र सरकार आधी वैक्सीन खरीदेगी तो वहीं वैक्सीन निर्माता 50 % वैक्सीन सीधे राज्यों को और प्राइवेट अस्पतालों को बेच सकते हैं.
आठ इन आठ राज्यों में सिर्फ ओडिशा ने 2020-21 के लिए वित्तीय घाटे में संशोधन किया है. महामारी के इस दौर में राज्यों का मुनाफा घट रहा है और सामाजिक सुरक्षा पर खर्च बढ़ा दिया है.