कोरोना ने बच्चों के टीकाकरण अभियान पर लगाया ब्रेक, 2.3 करोड़ बच्चों को नहीं लग पायी वैक्सीन

नई दिल्ली। कोरोना महामारी का कहर जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ा है. यहां तक कि इसने बच्चे को भी नहीं छोड़ा है. कोरोना महामारी के कारण 2020 में 2.3 करोड़ बच्चों को जीवनरक्षक टीका नहीं लगाया गया. इससे भविष्य में इन बच्चों पर खतरा पैदा हो सकता है. ये बच्चे सामान्य टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जरूरी जीवनरक्षक टीके से वंचित रह गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रेन इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट में ये खुलासा किया है कि 2020 में 1.7 करोड़ बच्चे ऐसे रहे जिन्हें किसी भी टीके की एक भी खुराक नहीं लगी जबकि कुल 2.3 करोड़ बच्चे किसी न किसी तरह के जीवनरक्षक टीके से वंचित रह गए.

पोलियो, खसरा जैसी बीमारियां नई मुश्किल खड़ी कर सकती
रिपोर्ट के अनुसार महामारी से पहले डीपीटी, खसरा और पोलियों के टीकाकरण की दर 86 फीसदी थी, जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 95 फीसदी है. 2019 में 35 लाख बच्चों को डीटीपी-1 टीके की पहली खुराक नहीं लगी थी. इसी तरह तीस लाख बच्चों को खसरे के टीके की पहली डोज नहीं लग पाई थी.

गवि के सीईओ डॉ. सेठ बर्कले ने कहा, महामारी के कारण टीकाकरण की दर में गिरावट चिंताजनक स्थिति है. उन्होंने कहा कि सभी देशों को इस ओर ध्यान देना होगा नहीं तो खसरा, पोलियो जैसी बीमारियां फिर से नई मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रॉस ए गेब्रेयेसिस का कहना है कि दुनिया के सभी अन्य जरूरी टीकाकरण अभियान को पीछे छोड़कर कोरोना टीके पर जोर दे रहे हैं.

हकीकत ये है कि इस आपाधापी में हम बच्चों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. इस लापरवाही का नतीजा ये होगा कि बच्चों में खसरा, पोलियो और दिमागी बुखार के मामले सामने आ सकते हैं जो जानलेवा होने के साथ पीड़ादायक रोग है.

भारत-पाकिस्तान की स्थिति खराब
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दक्षिणपूर्व एशियाई देशों भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस और मैक्सिको ऐसे देश हैं जहां कोरोना महामारी के कारण बच्चों के लिए चलने वाला जरूरी टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है. इन देशों में सबसे अधिक संयुक्त रूप से लगने वाला डीटीपी-1 टीके की पहली खुराक तक बच्चों को नहीं लगी है. बच्चों को टीका न लगने का कारण कोरोना का डर और बेहतर व्यवस्था का न हो पाना है.

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