Shashi Tharoor’s diplomacy: 48 घंटे में कोलंबिया ने बदला रुख, पाकिस्तान के समर्थन से पीछे हटा
Shashi Tharoor’s diplomacy: भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करने की रणनीति को बड़ी सफलता मिली है। अमेरिका महाद्वीप के दौरे पर गए सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर की सक्रिय कूटनीति के चलते कोलंबिया ने अपने पाकिस्तान-समर्थक बयान को महज 48 घंटे में वापस ले लिया।
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर कोलंबिया द्वारा शोक जताया गया था, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए भारतीय नागरिकों के प्रति कोई संवेदना नहीं व्यक्त की गई। इस पक्षपातपूर्ण रवैये पर शशि थरूर ने नाराज़गी जाहिर करते हुए इसे भारत के लिए “निराशाजनक” बताया।
थरूर की स्पष्ट चेतावनी: आतंकियों और आत्मरक्षार्थ कार्रवाई में फर्क समझें
बोगोटा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शशि थरूर ने कहा:“हम कोलंबियाई सरकार के उस बयान से निराश हैं, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान में जान गंवाने वालों के लिए संवेदना प्रकट की, लेकिन आतंकवाद पीड़ितों को नजरअंदाज कर दिया। आतंकी हमलों का सामना करने वालों और आतंक फैलाने वालों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।”
राजनयिक संवाद से बदला माहौल
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोजा योलांडा विल्लाविसेन्सियो से शुक्रवार को मुलाकात की, जहां थरूर ने भारत की स्थिति को मजबूती से रखा। बातचीत के बाद उप मंत्री ने स्वीकार किया कि भारत की चिंता जायज़ है और वह विवादास्पद बयान अब वापस लिया जा चुका है। कोलंबिया सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि अब वे भारत की स्थिति को बेहतर समझते हैं और उसका समर्थन करते हैं।
शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर साझा की जानकारी
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर थरूर ने लिखा: “आज कोलंबिया की उप विदेश मंत्री और एशिया-प्रशांत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से सार्थक बैठक हुई। मैंने 8 मई के बयान को लेकर भारत की चिंता साझा की। मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह बयान वापस ले लिया गया है और अब हमारी स्थिति को पूरी तरह से समझा और सराहा गया है।”
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प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का उद्देश्य
शशि थरूर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल पनामा और गुयाना की सफल यात्रा के बाद कोलंबिया पहुँचा था। इस दौरे का मकसद था — भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंचों पर उजागर करना और समर्थन हासिल करना। कोलंबिया यात्रा के बाद प्रतिनिधिमंडल ब्राज़ील और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर रवाना होगा।