दिल्ली में आज़ाद लेकिन सतर्क : बर्खास्त PM शेख हसीना बोलीं – ‘ढाका तभी लौटूंगी जब कानून का राज होगा’
बांग्लादेश की बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना दिल्ली में निर्वासन में रह रही हैं। रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा - वे तभी लौटेंगी जब देश में वैधानिक सरकार और कानून का राज बहाल होगा।
New Delhi. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो कभी ढाका की सबसे ताकतवर महिला मानी जाती थीं, आज दिल्ली की सड़कों पर शांति से टहलती नजर आती हैं। अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन की आग में जली उनकी सरकार के पतन के बाद, वे हेलिकॉप्टर से बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। अब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार देश चला रही है और अगले साल चुनाव कराने का वादा किया है।
लंबे समय बाद मीडिया के सामने आईं हसीना ने कहा कि वे दिल्ली में आज़ाद हैं, लेकिन सतर्क भी। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार के इतिहास में खून है। सावधानी अब मेरा स्वभाव बन गई है। हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान, बांग्लादेश के संस्थापक, और उनके तीन भाई 1975 में सेना के तख्तापलट में मारे गए थे।
घर जाने की इच्छा है, पर तभी जब वहां कानून का राज हो
रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में हसीना ने कहा कि उन्हें अपने देश लौटने की इच्छा है, लेकिन केवल तब, जब वहां वैधानिक सरकार और कानून का राज स्थापित हो। वे अक्सर दिल्ली के लोदी गार्डन में टहलती दिख जाती हैं, जहां उनके साथ सिर्फ दो-तीन सुरक्षाकर्मी रहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज़ादी है, लेकिन दिल में डर भी साथ चलता है।
हसीना की सत्ता ढहने की वजह बना छात्र आंदोलन, जो भर्ती में कोटा सिस्टम के खिलाफ भड़क उठा था। विरोध इतना हिंसक हुआ कि प्रधानमंत्री आवास तक आगजनी हुई और हसीना को देश छोड़ना पड़ा।
अवामी लीग पर बैन : जनता की आवाज़ को चुप नहीं कराया जा सकता
मुहम्मद यूनुस की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों का हवाला देकर अवामी लीग की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी। चुनाव आयोग ने मई 2025 में पार्टी का रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया।
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इस पर हसीना ने कहा कि आप लाखों समर्थकों को वोट देने का अधिकार नहीं छीन सकते। ऐसी राजनीति टिकती नहीं। उनका कहना है कि अगर अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखा गया, तो 126 मिलियन वोटर्स वाले देश में लोकतंत्र की वैधता ही सवालों में आ जाएगी।
2024 की खूनी कार्रवाई : हसीना के खिलाफ सबसे बड़ा दाग
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना पर आरोप लगाया है कि उन्होंने छात्र आंदोलन के दौरान हिंसक दमन का आदेश दिया था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, उस कार्रवाई में 1,400 लोगों की मौत हुई और हजारों घायल हुए। 13 नवंबर को कोर्ट फैसला सुनाएगा – अगर दोषी करार दी गईं, तो उनकी राजनीतिक वापसी लगभग असंभव हो जाएगी।
यह साजिश है, ट्रायल नहीं – हसीना का पलटवार
हसीना ने इन आरोपों को राजनीतिक बदले की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि यह एक कंगारू कोर्ट है। पहले फैसला लिखा गया, फिर ट्रायल शुरू हुआ। मुझे अपनी बात रखने का मौका भी नहीं मिला। वे खुद को लोकतंत्र की रक्षक और देश के विकास की निर्माता बताती हैं।
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हसीना ने यह भी कहा कि अवामी लीग उनकी निजी संपत्ति नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है। हालांकि उनके बेटे सजीब वाजेद ने संकेत दिया है कि पार्टी नेतृत्व की जिम्मेदारी वे उठा सकते हैं।
दिल्ली में ‘फ्री’ लेकिन सावधान
दिल्ली की खुली हवा में सांस ले रहीं शेख हसीना आज भी सुरक्षा घेरे में रहती हैं। उनके करीबी कहते हैं कि वे पढ़ने और पैदल टहलने में वक्त बिताती हैं। ढाका वापसी का सपना वे अब भी देखती हैं – लेकिन जब न्याय और लोकतंत्र की वापसी हो।



