Sonbhadra News-स्वास्थ्य कर्मचारियों ने तीन सूत्री मांग को लेकर बुलंद की आवाज

Sonbhadra News- एसीएचओ कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर ने प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर पूरे 75 जिले सहित जनपद सोनभद्र में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के जिला अध्यक्ष दीपक चौहान सोनभद्र के अगुवाई में लंबित भुगतान को लेकर मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री स्वास्थ्य परिवार कल्याण व मिशन निदेशक उत्तर प्रदेश शासन को जिलाधिकारी प्रतिनिधि एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन दिया गया।
वहीं जिला अध्यक्ष दीपक चौहान ने कहा कि
हम आपका ध्यान एक अत्यंत गंभीर और संवेदनशील विषय की ओर आकर्षित कराना चाहते हैं। उत्तरप्रदेश के समस्त कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (सी. एच. ओ) जिनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना “आयुष्मान भारत- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर” (अब-एचडब्ल्यूसी) के तहत हुई है. जुलाई माह से मानदेय एवं वार्षिक वेतन वृद्धि/लॉयल्टी बोनस तथा 5-6 माह से परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव (पीबीआई) एवं अन्य भुगतान लंबित (कमिटेड पीबीआई, वेलनेस एक्टिविटी, ता, इत्यादि) से वंचित हैं।
यह स्थिति न केवल कर्मचारियों को आर्थिक व मानसिक संकट की ओर धकेल रही है, बल्कि सीधे तौर पर प्रधानमंत्री की इस ऐतिहासिक स्वास्थ्य योजना की साख और प्रभावशीलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि-
जो इस योजना की रीढ़ की हड्डी हैं, जो गाँव-गाँव तक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करा रहे है एवं पूर्ण निष्ठा और जिम्मेदारी के साथ जनता को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। पिछले कुछ माह से लंबित मानदेय व पब्बी कर्मचारियों के जीवन-यापन, परिवार के भरण पोषण और कार्यक्षमता पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं एवं आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश
अतः संगठन की ओर से दृढ़तापूर्वक मांग की जाती है कि-
जुलाई माह से मानदेय एवं वार्षिक वेतन वृद्धि/लॉयल्टी बोनस तथा 5-6 माह से परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव (पीबीआई) एवं अन्य भुगतान संवित (कमिटेड पीबीआई, वेलनेस
एक्टिविटी, ता, इत्यादि) तुरंत भुगतान किया जाए।, भविष्य में वेतन और पब्बी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने हेतु ठोस व्यवस्था बनाई जाए।, कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर उनके मनोवल और कार्यक्षमता को बनाए रखा जाए।
यदि हमारी मांगों पर 7 दिन के भीतर कार्यवाही नहीं की गई, तो संगठन जिला और प्रदेश स्तर पर आंदोलनात्मक कदम उठाने के लिए बाध्य होगा। इस स्थिति में उत्पन्न होने वाली सभी जिम्मेदारियाँ शासन-प्रशासन की होंगी।

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