Sonbhadra News: भ्रष्टाचार का गुरुतालाब- जहाँ काग़ज़ों पर गुलाबी मौसम है और धरातल पर सड़ांध- विनय श्रीवास्तव

शौचालय घोटाले की आग अब अधिकारियों की मेज़ों तक पहुँची

Sonbhadra News: जिले में भ्रष्टाचार की जड़ें किस हद तक मजबूत हो चुकी हैं, इसका एक बड़ा प्रमाण ग्राम पंचायत दुसर में उजागर हुए शौचालय घोटाले और उसके बाद हुई संदिग्ध प्रशासनिक कार्रवाइयों से मिलता है। भाजपा नगर अध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा 06 फरवरी को की गई जांच में ग्राम विकास अधिकारी यशवंत गौतम के विरुद्ध करोड़ों की अनियमितताएँ, जिसमें 24,71,780 रुपये की गबन की धनराशि, कागज़ी शौचालय निर्माण और ग्राम निधि के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप सिद्ध हुए थे। आदेश में साफ कहा गया था— निलंबन, वसूली, और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति। लेकिन हुआ क्या? जिन्हें दंड मिलना चाहिए था, उन्हें दूसरे ब्लॉक में स्थानांतरण देकर जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत में नियुक्ति दे दी गई।

वही बीजेपी नगर अध्यक्ष ने कहा कि
यह निर्णय पूरे जिले में हलचल मचा रहा है। लोग कह रहे हैं— “क्या भ्रष्टाचार का इनाम तैनाती है? क्या जिलाधिकारी के आदेशों की अनदेखी करने का अधिकार किसी को है?” इसी मुद्दे को लेकर जिलाधिकारी के नाम एक विस्तृत शिकायत पत्र भी दिया गया है, जिसमें गंभीर आरोप हैं कि— जिलाधिकारी के आदेशों का अनुपालन नहीं हुआ, निलंबन और वसूली की कार्रवाई बीच में ही रोक दी गई, संदिग्ध स्थानांतरण किया गया, गबन के आरोपी GVO को नई जगह पोस्ट कर दिया गया, और नई पोस्टिंग पर पहुँचते ही करोड़ों के भुगतान निपटाए गए। तेजी से हुआ निस्तारण कई गहरी शंकाएँ पैदा करता है।

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शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि यह पूरा मामला पारदर्शिता के विरुद्ध है और विभागीय मिलिभगत का बड़ा संकेत देता है। यदि जिलाधिकारी के आदेश ही दरकिनार किए जा रहे हैं, तो नीचे के स्तर पर भ्रष्टाचार का संरक्षण स्पष्ट रूप से झलकता है। जिले के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, जागरूक नागरिकों तथा ग्रामीणों का कहना है कि सोनभद्र के लगभग सभी पंचायतों में शौचालय निर्माण जैसे कार्यों में भारी अनियमितताएँ हैं। काग़ज़ों पर सब गुलाबी और चमकदार, जबकि जमीनी हकीकत काली और सड़ी हुई।
ग्राम पंचायत दुसर में जांच के दौरान 139 शौचालयों के दावे में केवल 35 शौचालय बने मिले थे। बाकी 104 शौचालय “कागज़ी निर्माण” थे—रिपोर्टें तैयार, भुगतान जारी, पर ईंट तक नहीं गिरी। अब सवाल उठ रहा है— क्या सोनभद्र में भ्रष्टाचार इतना शक्तिशाली हो चुका है कि जिलाधिकारी के आदेश भी फीके पड़ जा रहे हैं? क्या गबन के आरोपी अधिकारी को संरक्षण मिल रहा है? और क्या करोड़ों की धनराशि का तेज़ निस्तारण किसी बड़े खेल की तरफ इशारा कर रहा है?
शिकायत में मांगा गया है कि— आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट तैयार की जाए, जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय जांच हो, नई तैनाती और आर्थिक लेनदेन की स्वतंत्र जांच कराई जाए, और जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ी जाएं। सोनभद्र के ग्रामीण कहते हैं— “साफ-सफाई के लिए बने शौचालय, खुद भ्रष्टाचार की गंदगी में डूबे पड़े हैं। अब कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा सिस्टम सड़ जाएगा।” वही इस मामले में डीडीओ हेमंत सिंह ने बताया की पत्र अभी हमारे संज्ञान में नहीं आया है आते ही समुचित कार्रवाई की जाएगी।

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