Uttarakhand: अखाड़ा परिषदों की खींचतान पर बोले श्रीमहंत गोपाल गिरि- एका जरूरी, नहीं तो फिर दोहराएगी कुंभ में साधुओं की दुर्दशा

Uttarakhand: श्री शंभू दशनाम पंचायती अखाड़ा आवाह्न के श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने अखाड़ा परिषदों में जारी मतभेदों और पदों पर जमी जड़ता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि अखाड़ों में इस तरह का विघटन और व्यक्तिगत पदलोलुपता बनी रही, तो आगामी कुंभ मेलों में साधु-संतों की स्थिति और भी अधिक दयनीय हो जाएगी।

गोपाल गिरि महाराज ने दोनों अखाड़ा परिषदों को परस्पर संवाद कर एका स्थापित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “पदों से चिपके रहने की प्रवृत्ति उचित नहीं है। परिषदों को मिलकर निर्णय लेना चाहिए और एकजुट होकर केवल एक अखाड़ा परिषद बनानी चाहिए। जिन लोगों ने वर्षों से पदों पर कब्जा जमा रखा है, उन्हें हटाकर नए लोगों को अवसर देना चाहिए।”

उन्होंने अखाड़ों के इतिहास की चर्चा करते हुए बताया कि सर्वप्रथम आवाह्न अखाड़ा की स्थापना हुई थी, जिसके बाद अटल और महानिर्वाणी अखाड़े अस्तित्व में आए। इसके बाद आनंद, निरंजनी, अग्नि, जूना आदि अखाड़ों का क्रमशः उद्भव हुआ। बैरागी अखाड़ों में तीन अणियों, दो उदासी और एक निर्मल अखाड़े को जोड़कर कुल 13 अखाड़े बनते हैं।

श्रीमहंत गोपाल गिरि ने विशेष रूप से जूना अखाड़े के सचिव की ओर इशारा करते हुए कहा कि “2004 से सचिव पद पर बने व्यक्ति को अब हटाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि निरंजनी अखाड़ा को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद से पीछे हट जाना चाहिए, क्योंकि पूर्व में श्रीमहंत शंकर भारती 26 वर्षों तक इस पद पर रहे, और उनके बाद नरेंद्र गिरि भी इसी अखाड़े से अध्यक्ष बने।

उनका मानना है कि अब आवाह्न अखाड़े को परिषद की अध्यक्षता और निर्मोही अखाड़े को सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए, जिससे संत समाज में नया विश्वास जगे और समरसता स्थापित हो।

उन्होंने चेताया कि “प्रयागराज कुंभ में जो दुर्दशा हुई थी, वह किसी से छिपी नहीं है। यदि संत समाज आपसी मतभेदों में ही उलझा रहा, तो उज्जैन और नासिक के आगामी कुंभ मेलों में भी सरकार और मेला प्रशासन लाभ उठाते रहेंगे, जबकि अखाड़ों और साधु-संतों को उचित सम्मान व सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी।” 

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अंत में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि संत समाज एकजुट होकर अखाड़ा परिषद को पुनर्गठित करे और निष्क्रिय हो चुके पदाधिकारियों को हटाकर नये नेतृत्व को आगे लाया जाए।

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