Varanasi: 129 वर्षीय पद्मश्री बाबा शिवानंद को श्रद्धांजलि देने उमड़े भक्त, आयुष मंत्री समेत कई गणमान्य हुए शामिल

Varanasi: धर्म और साधना की नगरी काशी आज शोकाकुल है। 129 वर्षीय विश्वविख्यात योग गुरु और पद्मश्री सम्मानित बाबा शिवानंद के निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अंतिम दर्शन के लिए रविवार को कबीर नगर, दुर्गाकुंड स्थित सामुदायिक भवन में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सादगी, संयम और सेवा की प्रतिमूर्ति रहे बाबा शिवानंद को अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दराज़ से भक्त वाराणसी पहुँचे हैं।

देर शाम प्रदेश के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने भी शिवानंद आश्रम पहुँचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। शोक संवेदना प्रकट करते हुए डॉ. दयालु ने कहा, “काशी ने आज अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है। बाबा शिवानंद का निधन केवल एक संत का अवसान नहीं है, बल्कि एक जीवंत परंपरा – योग, साधना, सेवा और सादगी – का अंत है।”

उन्होंने यह भी याद किया कि “2022 में राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री सम्मान ग्रहण करते समय जब बाबा ने साष्टांग दंडवत किया था, तब पूरे देश ने उनकी विनम्रता और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण को देखा और भाव-विभोर हो गया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण था कि दीर्घायु और स्वास्थ्य केवल औषधियों से नहीं, बल्कि साधना, अनुशासन और सरलता से प्राप्त होता है।”

श्रद्धांजलि देने वालों में शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, भाजपा महानगर के पूर्व अध्यक्ष विद्यासागर राय, एडीएम सिटी और महापौर अशोक तिवारी सहित कई वरिष्ठ प्रशासनिक एवं राजनीतिक हस्तियाँ भी शामिल रहीं।

आश्रम के अनुसार, बाबा शिवानंद की अंतिम यात्रा सोमवार सुबह 8:00 बजे से 9:00 बजे के बीच आश्रम से मणिकर्णिका घाट के लिए निकलेगी। पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत देश के कई राज्यों से उनके भक्त वाराणसी पहुँच चुके हैं।

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बाबा शिवानंद का जीवन एक संदेश था — सीमित इच्छाएँ, संतुलित आहार, नियमित योग और सच्चे मन से सेवा ही स्वस्थ और दीर्घ जीवन की कुंजी है। आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तब भी उनका आदर्श और शिक्षाएँ अनगिनत लोगों को प्रेरणा देती रहेंगी।


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