Nina Kuscsik Dies: महिला मैराथन की अग्रदूत नीना कुशसिक का निधन, 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
Nina Kuscsik Dies: महिला धावकों के अधिकारों की बुलंद आवाज और मैराथन की दुनिया में इतिहास रचने वाली अग्रदूत नीना कुशसिक का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने न्यूयॉर्क के हंटिंगटन स्टेशन स्थित ए.एल. जैकबसेन अंतिम संस्कार गृह में अंतिम सांस ली। बताया गया है कि वह लंबे समय से अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित थीं और अंततः श्वसन विफलता के कारण उनका निधन हुआ।
नीना कुशसिक केवल एक खिलाड़ी नहीं थीं, बल्कि एक आंदोलन थीं। उन्होंने उस दौर में लंबी दूरी की दौड़ में महिलाओं की भागीदारी की पैरवी की, जब महिलाओं को मैराथन में शामिल होने तक की अनुमति नहीं थी। बोस्टन एथलेटिक एसोसिएशन (BAA) ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा,
“नीना सिर्फ़ एक अग्रदूत या महिला धावकों की पैरोकार नहीं थीं, बल्कि खेल जगत की एक प्रतिष्ठित हस्ती थीं। उनकी मुस्कान, उनकी हंसी और उनका स्नेह हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगा।”
1972 में जब बोस्टन मैराथन ने पहली बार महिलाओं को आधिकारिक रूप से दौड़ में भाग लेने की अनुमति दी, उस ऐतिहासिक क्षण की विजेता बनीं नीना कुशसिक। उन्होंने न केवल यह दौड़ जीती, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि वे भी मैराथन की ‘फिनिश लाइन’ पार कर सकती हैं।
नीना की जिंदगी का सफर भी उतना ही प्रेरणादायक रहा। उन्होंने महज़ 16 वर्ष की उम्र में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और 18 साल की उम्र में न्यूयॉर्क के एक नियम को बदलवाकर नर्स की लाइसेंस प्राप्त की—जबकि उस समय न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी।
खेलों के प्रति उनके जुनून की शुरुआत स्केटिंग, रोलर स्केटिंग और साइक्लिंग से हुई, जिनमें उन्होंने राज्य स्तरीय खिताब भी जीते। लेकिन एक बार साइकिल टूटने के बाद उन्होंने दौड़ को अपना जीवन बना लिया।
1968 से 1971 तक, जब महिलाओं को बोस्टन मैराथन में आधिकारिक रूप से भाग लेने की अनुमति नहीं थी, नीना ने चार बार उस दौड़ में भाग लिया। यही दौर ‘पायनियर एरा’ कहलाता है। फिर 1972 में वह ऐतिहासिक क्षण आया, जब उन्होंने पहली आधिकारिक महिला मैराथन में जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया।
सिर्फ बोस्टन ही नहीं, 1970 में नीना न्यूयॉर्क मैराथन में भाग लेने वाली पहली महिला बनीं। 1972 में उन्होंने ‘सिक्स हू सैट’ आंदोलन में भी भाग लिया, जिसमें छह महिलाओं ने दौड़ के शुरू होने से पहले 10 मिनट तक विरोधस्वरूप दौड़ शुरू नहीं की। यह विरोध एमेच्योर एथलेटिक यूनियन (AAU) के उस भेदभावपूर्ण नियम के खिलाफ था, जिसमें महिलाओं की दौड़ को पुरुषों से अलग रखने की बात कही गई थी।
नीना ने न सिर्फ दौड़ में, बल्कि खेल प्रशासन में भी महिलाओं के लिए जगह बनाई। वे AAU और USA ट्रैक एंड फील्ड की समितियों में शामिल रहीं और महिला एथलीटों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण नियम बनवाने में अग्रणी भूमिका निभाई।
प्रसिद्ध धाविका कैथरीन स्विट्ज़र ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “नीना हमारी सबसे महान नेताओं में से एक थीं। वे न केवल एक शानदार धाविका थीं, बल्कि उन्होंने वर्षों तक शोध, संघर्ष और नियम परिवर्तनों के माध्यम से यह साबित किया कि महिलाएं लंबी दूरी की दौड़ में पूरी तरह सक्षम हैं।”
अपने जीवनकाल में नीना ने 80 से अधिक मैराथन में हिस्सा लिया। 1977 में उन्होंने 50 मील दौड़ का अमेरिकी रिकॉर्ड बनाया और 1979 से 1981 तक लगातार तीन वर्षों तक प्रतिष्ठित एम्पायर स्टेट बिल्डिंग रन-अप जीतकर अपनी असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया।
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उनके अद्वितीय योगदानों को सम्मानित करते हुए उन्हें 1999 में लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया।
नीना कुशसिक ने न केवल महिला एथलीटों के लिए दौड़ के रास्ते खोले, बल्कि खुद एक प्रेरणा बनकर लाखों महिलाओं को अपने सपनों की ओर दौड़ लगाने का हौसला दिया।