World Tobacco Day 2025: डीएनए तक ज़हर फैलाता है तंबाकू – अब भी सोचिए ‘सिर्फ एक बार’?”

World Tobacco Day 2025: “तंबाकू केवल आपकी साँसों को नहीं, आपके जीन को भी बदल देता है। इसका असर सिर्फ आप पर नहीं, बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ियों पर भी हो सकता है।” यह कहना है लखनऊ की प्रसिद्ध ओरल हेल्थ एक्सपर्ट और ‘होप डेंटल हॉस्पिटल एंड वेलनेस सेंटर’ की संस्थापक डॉ. हिमांगी दुबे का, जो ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ (World No Tobacco Day) के अवसर पर तंबाकू के खतरनाक प्रभावों को लेकर आगाह कर रही हैं।

हर वर्ष 31 मई को मनाया जाने वाला यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतावनी है – एक ऐसा ‘अलार्म’ जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कहीं हमारी ‘सिर्फ एक बार’ की लत हमारे जीवन की सबसे बड़ी भूल तो नहीं?

इस साल की थीम: “Bright Products. Dark Intentions.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा घोषित इस वर्ष की थीम – “चमकते उत्पाद, काले इरादे” – तंबाकू उद्योग की उस चालाक रणनीति को उजागर करती है जिसमें युवाओं को रंगीन पैकेजिंग, आकर्षक फ्लेवर और ग्लैमर के ज़रिए फँसाया जाता है, लेकिन अंतत: यही उत्पाद उन्हें कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और डीएनए स्तर तक की क्षति की ओर ले जाते हैं।

तंबाकू और डीएनए: जैविक स्तर पर हमला

डॉ. दुबे बताती हैं कि तंबाकू धूम्रपान और चबाने दोनों रूपों में कम से कम 70 सिद्ध कैंसरकारी रसायन उत्पन्न करता है। इनमें से कुछ प्रमुख रसायन हैं:

  • बेंजो[a]पाइरीन (BaP): यह डीएनए में सीधे म्यूटेशन करता है, जो कैंसर का मूल कारण बनता है।

  • नाइट्रोसामाइंस: विशेषकर चबाने वाले तंबाकू में पाया जाता है और ओरल कैंसर का मुख्य स्रोत है।

  • फॉर्मलडिहाइड: यह कोशिका की मरम्मत प्रणाली को बाधित करता है, जिससे कैंसर विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

इन रसायनों से उत्पन्न डीएनए म्यूटेशन स्थायी होते हैं, और ये परिवर्तन न केवल कैंसर को जन्म दे सकते हैं बल्कि वंशानुगत रूप से आगे भी बढ़ सकते हैं।

ओरल हेल्थ सबसे पहले होती है प्रभावित

ओरल हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, तंबाकू के सेवन से मुँह की भीतरी सतहें जैसे गाल, मसूड़े, जीभ और होंठ सबसे पहले प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि भारत में ओरल कैंसर के मामले विश्व में सबसे अधिक हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार:

  • हर वर्ष 1.2 लाख से अधिक नए मुँह के कैंसर के मामले सामने आते हैं।

  • इन मामलों में 75% से अधिक तंबाकू से संबंधित होते हैं।

भारत में तंबाकू: एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल

  • 26 करोड़ से अधिक भारतीय किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।

  • हर 4 में से 1 पुरुष और हर 10 में से 1 महिला तंबाकू उपभोग करती है।

  • हर साल 13 लाख से अधिक मौतें तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं।

  • WHO के अनुसार, भारत में हर 8 सेकंड में एक व्यक्ति तंबाकू से जुड़ी बीमारी के कारण मरता है।

समाधान क्या है? डॉ. दुबे की सिफारिशें:

  1. तंबाकू छोड़ने की योजना बनाएं: डॉक्टर या काउंसलर से परामर्श लें, निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाएं।

  2. ओरल कैंसर स्क्रीनिंग करवाएं: विशेषकर यदि आपने कभी भी तंबाकू का सेवन किया हो।

  3. बच्चों को जागरूक करें: डराने के बजाय वैज्ञानिक और तार्किक जानकारी दें।

  4. समुदाय में जागरूकता बढ़ाएं: स्कूल, कॉलेज, और सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू विरोधी अभियान चलाएँ।

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डॉ. हिमांगी दुबे कौन हैं?

  • संस्थापक, होप डेंटल हॉस्पिटल एंड वेलनेस सेंटर, लखनऊ

  • मुख्य दंत परामर्शदाता, अजन्ता हॉस्पिटल, लखनऊ

  • ओरल कैंसर अवेयरनेस की अग्रणी प्रचारक

  • संपर्क: 📞 7905269559 | ✉️ himangidubey11@gmail.com

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