देखिये खाकी का कमाल, कप्तान के दरबार में फरियादियों को हताश नहीं होना पड़ता

गाजियाबाद अब आप समझिए पूरा मामला, और शायद इन बातों से कोई भी व्यक्ति विशेष अनभिज्ञ नहीं है, दरअसल गाजियाबाद में वर्षों से जो शिकायतें थाने या चौकी के साथ-साथ एसपी आॅफिस में धूल फांकती थीं, लेकिन अब ऐसा हरगिज नहीं होगा, आपको बता दें कि कप्तान एम मुनिराज जी के तेवरों के चलते सब शिकायतों पर ऐसा चला हंटर कि धड़ाधड़ हुआ निस्तारण, और इस समय के हालात जो बयां कर रहे हैं वह यह हैं कि कोई भी फरियादी शिकायत लेकर जाता है तो तत्काल उसका निराकरण किया जा रहा है, अब यहीं से हम शुरूआत करते हैं गाजियाबाद जिले की पुलिस के कार्य की तो आप यह जान लीजिए कि गाजियाबाद में अक्सर ऐसा होता आया है कि पीड़ित थाने या चौकी या फिर एसपी आॅफिस अपनी समस्याओं को लेकर जाते थे मगर ज्यादातर मामलों में यही होता था कि वह मामले पेंडिंग में कहा जाए या फिर कचरे में कहा जाए उन अधिकांश समस्याओं का निदान नहीं होता था बल्कि टहला दिया जाता रहा है, लेकिन हिंदी दैनिक एक संदेश समाचार पत्र के संवाददाता ने अपनी पड़ताल में जो जानकारियां हासिल कीं हैं उसके बारे में हमने यही देखा है कि जिस दिन से गाजियाबाद जिले में कप्तान एम मुनिराज जी की तैनाती हुई है तब से लगातार एक तो जनसुनवाई करके कप्तान साहब स्वयं लोगों की समस्याओं का त्वरित निदान करने का काम कर रहे हैं और दूसरी ओर जो कुछ पहले होता आया था वह सब नहीं हो रहा, चूंकि कप्तान मुनिराज जी अपनी काबिलियत के हिसाब से वह सब कर रहे हैं और हर जिले में जहां वह तैनात रहे हैं वहां भी यही किया, मतलब साफ है कि आमजन को किसी भी प्रकार से परेशानी का सामना ना करना पड़े यह बात कप्तान मुनिराज की पहली प्राथमिकता में शामिल है जैसा कि हमारी तमाम और खबरों में इन सब बातों का जिक्र लगातार किया है, आप यह भी समझ लीजिए कि कप्तान मुनिराज जी सही का साथ देते आए हैं और ऐसे अफसर की पहचान खुद व खुद बन जाती है कि एक आला अफसर अपनी काबिलियत के हिसाब से वह सब करने का जज्बा रखते हैं जो कि सही को भांपते हुए अपने फैसले को सुनाएं और उन अफसरों की कड़ी में कप्तान एम मुनिराज जी शामिल हैं, दूसरी तरफ हम आपको यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि कप्तान एम मुनिराज जी के लिए जो लिखा है वह सब कम ही है बल्कि एक संदेश समाचार पत्र के द्वारा अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है वह सब लिखने से पहले कप्तान एम मुनिराज जी का एक इंटरव्यू करके हम लिखेंगे ताकि जो जानकारियां उनके बारे में हमें प्राप्त नहीं हैं वह सब जानकारियां इंटरव्यू के माध्यम से मिल सकें, और इस खबर को मेरा लिखने का मेन उददेश्य यही है कि सही और गलत को समझा जा सके, साथ ही इस खबर को कप्तान मुनिराज जी के लिए यह न समझा जाए कि उनकी तारीफ लिखी है ऐसा हरगिज़ नहीं है जो सही है वही इस खबर में दर्शाया गया है, चूंकि अभी हाल ही में मुसलिम समुदाय के पवित्र त्यौहार बकराईद पर भी समूचे जिले में अमन और शांति से ईद का पर्व मनाया गया, और कल कांवड यात्रा का समापन हुआ उसमें भी आपसी भाईचारा ने मिसाल पेश की है, जोकि कप्तान मुनिराज जी की कार्य शैली का यह बेहतर तरीका था, एक बात और है जो हम सब जानते हैं चूंकि अमूमन खाकी को लोगों के द्वारा हमेशा गलत कहा जाता रहा है लेकिन ऐसा है नहीं चूंकि खाकी से ही हम सब सुरक्षित हैं अगर खाकी न हो तो फिर लोगों को डर ही न हो और ऐसे में हम सब असुरक्षित हों, इसलिए खाकी का सम्मान बेहद जरूरी है, माना कि एक खाकी ने कोई गलत काम कर दिया है तो सारी खाकी खराब हो जाएगी, ऐसा हरगिज़ नहीं है, जिसका जीता जागता उदाहरण हैं कप्तान मुनिराज जी, खैर हम तो यही कहेंगे कि आला अफसर अपनी ऐसी पहचान बनाएं कि जहां भी तैनाती हो वहां सबसे पहले आमजन खुश हो वही सबसे अहम माना जाता है और उसी से पुलिस की कार्यशाली को लोगों के द्वारा सही और गलत का नाम दिया जाता है, और लोगों को कप्तान मुनिराज जी की कार्य शैली बड़ी पसंद आई।

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