अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान और कृषि मंत्रालय के बीच हुआ समझौता

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय/विभाग और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए, आईआरआरआई-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केंद्र के द्वितीय चरण की गतिविधियां प्रारंभ करने के लिए आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

कृषि मंत्रालय की ओर से सचिव मनोज अहूजा तथा आईआरआरआई की ओर से महानिदेशक डॉ. जीन बेली, ने इस एमओयू पर कृषि भवन, नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर अहूजा ने आईआरआरआई, विशेष रूप से आईसार्क की प्रशंसा करते हुए कहा कि विगत 5 सालों में कृषि क्षेत्र से संबंधित मुद्दों के समाधान में आईसार्क भारत सरकार का सहयोगी रहा है। यह समझौता हमारे देश और अन्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में सुधार के लिए मिलकर काम करने के नए तरीकों को अपनाने की प्रतिबद्धता है। संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने कहा कि हम कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए और भी अधिक सहयोग की आशा करते हैं।

आईआरआरआई के महानिदेशक बेली ने भारत सरकार के साथ नए सिरे से इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सरकार चावल-आधारित कृषि एवं खाद्य क्षेत्र की दक्षता, स्थिरता और समानता में सुधार करने में हमारी मुख्य रणनीतिक सहयोगी रही है। खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना और बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए डॉ. बेली ने समेकित प्रयासों और प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता पर बल दिया। आईसार्क निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने आभार जताया।

द्वितीय चरण की गतिविधियां भारत व आईआरआरआई के बीच लंबे समय तक सहयोग करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने वाराणसी के राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र परिसर में आईसार्क स्थापना को 2017 में मंजूरी दी थी। पांच वर्षों से केंद्र ने क्षेत्र में खाद्य उत्पादन को बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है। यह अपनी अत्याधुनिक प्रयोगशाला सुविधाओं के माध्यम से निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ-साथ अनाज की गुणवत्ता, फसल उत्पादन एवं पोषण गुणवत्ता के लिए के लिए अनुसंधान कर रहा है। आईसार्क ने चावल आधारित कृषि खाद्य प्रणालियों पर लघु पाठ्यक्रमों के माध्यम से ज्ञान हस्तांतरण को भी सक्षम बनाया है। दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पौधे के विकास चक्र में तेजी लाने और सामान्य परिस्थितियों में चावल की केवल एक से दो फसलों के मुकाबले प्रति वर्ष लगभग पांच फसलों के लिए आईसार्क की नई स्पीड ब्रीडिंग सुविधा (स्पीडब्रीड) का उद्घाटन किया था। यह कम समय में लोकप्रिय भारतीय चावल की किस्मों में महत्वपूर्ण लक्षणों (जैसे, कम जीआई, जैविक व अजैविक तनाव के प्रति सहनशीलता) को स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आईसार्क ने चावल मूल्य संवर्धन में उत्कृष्टता केंद्र (सीईआरवीए) भी स्थापित किया है जिसमें अनाज में भारी धातुओं की मात्रा और गुणवत्ता को निर्धारित करने की क्षमता वाली एक आधुनिक और परिष्कृत प्रयोगशाला शामिल है। केंद्र की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक, केंद्र टीम व आईआरआरआई मुख्यालय के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से एक निम्न (आईआरआरआई 147 (जीआई 55) और एक मध्यवर्ती (आईआरआरआई 162 (जीआई 57)) ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) चावल की किस्मों का विकास है । चूंकि अधिकांश चावल की किस्मों में जीआई अधिक होता है और अधिकतर भारतीय चावल का सेवन करते हैं जिससे कम जीआई चावल की किस्मों को लोकप्रिय बनाने से भारत में मधुमेह की बढ़ती स्थि‍ति को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।

आईसार्क के दूसरे चरण में उत्पादकों-उपभोक्ताओं की मांग पूरा करने के लिए भारत व दक्षिण एशिया में सतत-समावेशी चावल-आधारित खाद्य प्रणालियों के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से अपने अनुसंधान और विकास कार्यो के विस्तार करने का प्रस्ताव रखा है। दूसरे चरण में उच्च उपज वाले तनाव-सहिष्णु व जैव-फोर्टिफाइड चावल के विकास, प्रसार व लोकप्रियीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, विशेष रूप से उच्च जस्ता और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चावल की किस्मों पर मुख्य फोकस केंद्रित होगा। इसके अलावा, आईसार्क अनाज गुणवात्ता की लाइनों को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय चावल प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग करेगा। यह जलवायु—परिवर्तन सहिष्णु किस्मों और प्रौद्योगिकियों जैसे पर्यावरण के अनुकूल कृषि, बेहतर मृदा स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों व मशीनीकृत डीएसआर में भी सहयोग प्रदान करेगा।

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