यूपी में कांग्रेस का सत्याग्रह शुरू, अग्निपथ योजना को लेकर उठाए सवाल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सोमवार को कांग्रेस की तरफ से अग्निपथ को लेकर विरोध शुरू हो गया. पार्टी की तरफ से सभी राज्यों के विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी सोमवार को शांतिपूर्ण सत्याग्रह करने पर बैठ गए.

पार्टी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने कहा कि हम अग्निवीर योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हैं. प्रधानमंत्री युवाओं की बात क्यों नहीं सुन रहे हैं? वह चुप क्यों हैं? हम उनसे उनके अहंकार को त्यागने का निवेदन करते हैं. उनके इसी अहंकार ने किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की जान ली थी. देश हित में, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस इतिहास को दोहराया नहीं जाना चाहिए. प्रधानमंत्री द्वारा अपनी गलती मानते हुए इस युवा और राष्ट्रविरोधी योजना को वापस लिया जाए.

अजय मकान ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अग्निपथ योजना पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि यह तुगलकी सरकार पहले फैसला करती है और बाद में सोचती है. अग्निपथ योजना के मामले में भी कई बदलाव आ चुके हैं. लेकिन, भारत के युवा इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. आज देश को बचाने की जरूरत है. लेकिन, यह सरकार पैसे बचाने में लगी है. युवा, पूर्व सैनिक तथा रक्षा विशेषज्ञ सभी हितधारकों ने मोदी सरकार की इस अग्निपथ योजना को नकार कर दिया है. कई सेवारत अधिकारियों ने निजी तौर पर इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि वे सेना के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहते. वे अपने सशस्त्र बलों के कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं.

राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने कहा कि अग्निपथ योजना अभी तक भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई एक और नई गलत योजना है, जो मौजूदा समस्याओं का समाधान किए बिना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नई समस्याएं पैदा करेगी. अग्निवीरों के लिए प्रशिक्षण की अल्प अवधि (6 महीने) का हमारे सशस्त्र बलों की गुणवत्ता, दक्षता और प्रभावशीलता पर नकारात्मक असर पड़ेगा. व्यवहार और वेतन/लाभ के दो पैमाने निष्पक्षता के सभी मानदंडों का उल्लंघन है. यह भेदभाव सशस्त्र बलों और उनमें अनुशासन के लिए कई अप्रत्याशित और गंभीर समस्याएं पैदा करेगा.

अजय माकन ने कहा कि सेना में सबसे बड़ा एस्सेट सैनिक हैं, जो यूनिट के जुड़ाव के आधार पर लड़ता है और देश की रक्षा करता है. सैनिक के बलिदान की भावना, जिसे ‘नाम, नमक व निशान’ से जाना जाता है, वह सालों के जुड़ाव से पैदा होता है. एक अनुशासित कमान में हर कुबार्नी देने वाला फौज के लिए परंपराओं का यह जुड़ाव उन्हें एक परिवार बनाता है तथा उस मार्ग पर चलकर वह देश के लिए सर्वाेच्च कुबार्नी करने को सदैव तत्पर रहते हैं.

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