झारखंड में ऑनलाइन पढ़ाई: 93% पैरैंट्स ने माना, बच्चों का लर्निंग लेवल घटा, 29% बच्चे इससे अनजान

रांची। झारखंड में लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई की स्थिति को लेकर भारत ज्ञान विज्ञान समिति ने सर्वे किया, जिसमें यह बात सामने आई कि 12.8% बच्चों को ही ऑनलाइन क्लास की पढ़ाई समझ में आती है जबकि 19.7% बच्चे क्लास में बताई गई बातों को कभी कभी ही ठीक से समझ पाते हैं. चौंकाने वाला आंकड़ा यह मिला कि 29.2% बच्चों को ऑनलाइन क्लास के बारे में जानकारी ही नहीं है. इस सर्वे में अभिभावकों को भी शामिल किया गया. वहीं, शिक्षकों का कहना है कि बहुत कम बच्चे इस व्यवस्था से लाभान्वित दिखे हैं, जबकि ज़्यादातर के लिए ऑनलाइन पढ़ाई कठिन विकल्प ही सामने आया है.

स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान होने वाले अभिभावकों से भी सर्वे में सवाल पूछे गए थे. 93.1% अभिभावकों ने माना कि विद्यालय बंद होने के कारण उनके बच्चों के सीखने के स्तर में कमी आई. मात्र 2.91 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चे की समझ का स्तर बेहतर हुआ. इस सर्वे से झारखंड में ऑनलाइन माध्यम से चल रही क्लासों और पढ़ाई से जुड़े ज़मीनी आंकड़े सामने आने का दावा किया जा रहा है.

समिति ने सर्वे में बच्चों द्वारा स्मार्टफोन ऑपरेट करने को लेकर सवाल पूछा था. पूछा गया था कि क्या पिछले 3 माह में कभी ऐसा हुआ कि मोबाइल ऑपरेट नहीं कर पाने के कारण बच्चा क्लास नहीं कर पाया हो. इसके जवाब में 13.36 फीसदी बच्चों का कहना था कि उनके साथ हमेशा ऐसा होता है. 30.9 फीसदी ने कहा ‘कभी-कभी’ तो 20 फ़ीसदी ने कहा कि उनके साथ ऐसा नहीं होता. इस सवाल का जवाब 34.5 फ़ीसदी बच्चे दे ही नहीं पाए.

11.25 फीसदी बच्चे नेटवर्क समस्या से परेशान दिखे तो 40.5 बच्चों का कहना था कि उन्हें कभी-कभी नेटवर्क समस्या का सामना करना पड़ता है. इस सर्वे का सार यह निकला कि काेराेना संकट में स्कूलों के बंद रहने के कारण संसाधनाें के अभाव में ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए संतोषजनक विकल्प नहीं रही.

झारखंड से ऐसी खबरें भी लगातार आती रहीं कि छात्रों के पास न तो स्मार्टफोन थे और न ही लैपटॉप. दूरदर्शन के ज़रिए कुछ अपनी पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन आर्थिक तंगी में वे टीवी का रिचार्ज नहीं करा पाए. वहीं, शिक्षकों की मानें तो उनकी कक्षाओं में 10 से 20% बच्चे ही जुड़ पाते हैं. वो भी नियमित नहीं और जो जुड़ पाते हैं, उनमें से आधे बच्चे ही पढ़ाई समझ पाते हैं.

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