कोयले की खरीद में उद्योगपतियों को मालामाल करने की तैयारी : उपभोक्ता परिषद
लखनऊ। कोयले की कमी पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने सभी बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को यह छूट दे दी है कि वह 15 फीसदी विदेशी कोयला खरीद सकती है। परिषद का कहना है कि इससे एक तो बिजली के दाम बढ़ेंगे और दूसरी तरफ विदेशों में कुछ उद्योगपतियों की कोयला खदानें हैं एसे में इस आदेश की आड़ में उनकी जमकर कमाई भी होगी।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने केन्द्र सरकार पर बडा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोयले की किल्लत के बाद अब इसमें मुनाफे का खेल भी सामने आने लगा है। केंद्र सरकार कोयले की कमी को पूरा करने के लिए 15 फीसदी बाहरी कोयला खरीदने की अनुमति देने जा रही है। उन्होंने बताया कि देश के दो सबसे बड़े निजी घरानों का विदेशों में खाद्यान्न है। उनसे ही कोयला खरीदा जाएगा। इस समय विदेशी बाजार में कोयला महंगा भी हुआ है। पिछले दो महीने में ही कोयले की कीमत 60 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 200 टन प्रति डॉलर तक बढ़ गया है। परिषद ने कहा कि इसका विरोध किया जाएगा।
सीबीआई जांच की मांग
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से इस मामले से सीबीआई जांच करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि 135 तापीय विद्युत परियोजनाओं में कोयला संकट आया है। उसके बाद लगातार एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदी जाती है। उन्होंने बताया कि इस मामले में निजी कंपनियों ने करोड़ों रुपए की कमाई की है। बताया कि विदेशी कोयले का रेट जो मार्च में 60 डालर प्रति टन था अब वह सितम्बर में 200 डॉलर प्रति टन पहुंच गया है।
मंत्री के बयान पर सवाल खड़ा किया
परिषद ने कहा कि जब कोल संकट पैदा हुआ तो देश के विद्युत मंत्री का बयान आया कि कोयले की कोई कमी नहीं है। उसके बाद यह आदेश क्यों जारी किया गया है। इसका साफ मतलब है कि विदेशों से कोयला खरीदने की तैयारी है। यह सब खरीदारी दो निजी घरानों से की जाएगी।