तीसरी लहर में सबसे बड़ी राहत वाली खबर गले से नीचे वायरस का कोई असर नहीं
इंदौर । यह भारतीय वैक्सीन का असर है या इस बार तीसरी लहर का वायरस कमजोर है जिसके कारण तीसरी लहर पहली और दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं है। इंदौर जिले में गत दिवस लगभग 12 हजार से ज्यादा कोरोना के मरीज मिले हैं। तकरीबन सभी के फेंफड़े वायरस के संक्रमण से सुरक्षित हैं। पॉजिटिव मरीजों के ऑक्सीजन सेचुरेशन में कोई उतार चढ़ाव नहीं है। न ही मरीजों का ऑक्सीजन लगाना पड़ रही है। निजी अस्पतालों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या बहुत ही कम है। बल्कि न के बराबर है। शहर की निजी पैथलॉज्ी लैब में फेंफड़ों का एक्सरे और चेस्ट का सिटी स्कैन कराने की इस बार जरूरत ही नहीं पड़ रही है। दूसरी लहर के दौरान सिटी स्कैन कराने वाले मरीजों की घण्टों इंतजार करना पड़ता था। इतना ही नहीं इस तीसरी लहर में दूसरी लहर के पॉजिटिव मरीजों को दी जाने वाली दवाइयां ही दी जा रही हैं क्योंकि पॉजिटिव मरीजों का लंग्स सिस्टम यानी फेंफड़े पूरी तरह महफूज हैं। यही कारण है कि कोविड सेंटर हॉस्पिटल के 90 प्रतिशत से ज्यादा मेडिकल बेड्स और आईसीयू खाली पड़े हैं। मेडिकल स्टोर्स पर पिछली बार की तरह दवा खरीदने वालों की न तो लाइन नजर आ रही है और न ही मरीजों को महंगे व लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि दूसरी लहर के पॉजिटिव मरीजों को 24 घण्टे में वापरफुल हाई डोज वाली दवाइयां व जीवन रक्षक इंजेक्शन दिए जाते थे मगर इस बार पिछली बार की दवाइयों की अपेक्षा सिर्फ दस प्रतिशत दवाइयां दी जा रही हैं। जो दवाइयां दी जा रही हैं वह भी जनरल कैटेगरी की दवाइयां हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसर रविवार को 9013 सेम्पल्स की जांच रिपोर्ट में से 1990 नए मरीज मिलने के बाद इंदौर जिले में आज की तारीख में लगभग 12 हजार 203 कोरोना पॉजिटिव हैं मगर भर्ती मरीजों की संख्या लगभग 200 है जो बहुत ही कम है। इससे साबित होता है कि लगभग 12 हजार मरीज होम आइसोलेशन होकर इलाज करा रहे हैं। इसके अलावा इस बार तीसरी लहर व दूसरी लहर के मरीजों में बहुत ज्यादा अंतर नजर आ रहा है। इस बार के पॉजिटिव मरीजों में संक्रण्मा नाक और गले तक ही सीमित है। इस वजह से इंफेक्शन पाजिटिव मरीजों के फेंफड़ों तक घुसपैठ नहीं कर पा रहा है। यदि कुछ मरीजों में लंग् स इंफेक्शन है तो भी वह न के बराबर है। श्वास रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉक्टर सलिल भार्गव ने बताया कि इस बार पॉजिटिव मरीजों में कोविड वायरस का असर सिर्फ नाक व गले तक ही है। संक्रमण गले के नीचे नहीं उतर पा रहा है। यही कारण है कि तीसरी लहर में अभी तक हर रोज मिल रहे लगभग सभी मरीजों के फेंफड़े सुरक्षित हैं। इस बार फेंफड़ों में कोई इंफेक्शन नहीं है। ऑक्सीजन सेचुरेशन मतलब ऑक्सीजन लेवल भी बराबर बना हुआ है। न इन्हें सांस लेने में कोई ज्यादा दिक्कत हो रही है। इस बार के मरीज पांच दिन में ठीक होते जा रहे हैं। मनोरम राजे टीबी अस्पताल कोविड सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि तीसरी लहर के दौरान पॉजिटिव मरीजों के इलाज में इस बार आइवरमेक्टीन, हाईड्राक्सिक्लोरोक्वीन, सटेरॉइड्स टॉसिलिजूमैब जैसी दवाइयों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा सीआरपी फेरिटिन, एलडीएच, चेस्ट सिटी स्कैन जैसी मेडिकल जांच की भी जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। अभी तक तीसरी लहर के दौरान दूसरी लहर की तरह गंभीर मरीज सामने नहीं आये हैं कुछ आये भी हैं तो वो पहले से कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त थे।