प्रधानमंत्री मोदी केन्द्र राज्य विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया. इससे पहले उनके कार्यालय ने बताया कि देश में नवाचार और उद्यमिता को सुगम बनाने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों के अनुरूप इस सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा और यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन है. कार्यालय ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य सहकारी संघवाद के जरिये केंद्र और राज्य के बीच समन्वय तथा सहयोग तंत्र को मजबूत बनाना और पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है.
उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब ज्ञान-विज्ञान से हमारा परिचय होता है. तब संसार की सभी संकटों से मुक्ति का रास्ता अपने आप खुल जाता है. समाधान और नवाचार का आधार विज्ञान ही है. इसी प्रेरणा से आज का नया भारत, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ ही जय अनुसंधान का आह्वान करते हुए आगे बढ़ रहा है. 21वीं सदी के भारत के विकास में विज्ञान उस ऊर्जा की तरह है जिसमें हर क्षेत्र के विकास को, हर राज्य के विकास को गति देने का सामर्थ्य है.
उन्होंने कहा कि आज जब भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने की तरफ बढ़ रहा है तो उसमें भारत की साइंस और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की भूमिका बहुत अहम है. उन्होंने कहा कि अगर हम पिछली शताब्दी के शुरुआती दशकों को याद करें तो पाते हैं कि दुनिया में किस तरह तबाही और त्रासदी का दौर चल रहा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लेकिन उस दौर में भी बात चाहे पूर्व की हो या पश्चिम की, हर जगह के वैज्ञानिक अपनी महान खोज में लगे हुए थे. पश्चिम में आइंस्टाइन, फर्मी, मैक्स प्लांक, नील्स बोर, टेस्ला जैसे वैज्ञानिक अपने प्रयोगों से दुनिया को चौंका रहे थे. उसी दौर में सीवी रमन, जगदीश चंद्र बोस, सत्येंद्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, एस चंद्रशेखर समेत कई वैज्ञानिक अपनी नई-नई खोज सामने ला रहे थे.
इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 10-11 सितंबर, 2022 को साइंस सिटी, अहमदाबाद में किया जायेगा. इसमें एसटीआई दृष्टिकोण 2047; राज्यों में एसटीआई के लिए भविष्य के विकास के रास्ते और नजरिया; स्वास्थ्य – सभी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल; 2030 तक अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को दोगुना करना; कृषि-किसानों की आय में सुधार के लिए तकनीकी हस्तक्षेप जैसे विभिन्न विषयों पर सत्र शामिल होंगे.
कार्यालय ने बताया कि इनके अलावा जल-पीने योग्य पेयजल के लिए नवाचार; ऊर्जा- हाइड्रोजन मिशन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका आदि के साथ-साथ सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा और तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों तथा देश की भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए इसकी प्रासंगिकता जैसे विभिन्न विषयों पर भी सत्र आयोजित होंगे.

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