कर्ज देने वाले ऐप को दंडित करने की मंशा नहीं, पर नियमों का पालन सुनिश्चित हो : दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुकुरमुत्तेकी तरह बढ़ रहे कर्ज देने वाले ऐप और उनके द्वारा ऊंचा ब्याज वसूलने को लेकर आगाह किया है। हालांकि, उन्होंने यह कहा कि केंद्रीय बैंक की इन इकाइयों को दंडित करने या इस क्षेत्र में हो रहे नवोन्मेष को दबाने की रुचि नहीं है, लेकिन इनमें नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए। वैश्विक वित्तीय प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक का परिचालकों को दंडित करने या इस क्षेत्र में हो रहे नवोन्मेष को दबाने को लेकर रुचि नहीं है लेकिन नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर का यह बयान हाल की घटनाओं को देखते हुए महत्वपूर्ण है। ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिसमें इन ऐप के माध्यम से कर्ज लेने वाले कुछ लोग आत्महत्या करने के लिये मजबूर हो गये। पिछले सप्ताह झारखंड में एक युवा गर्भवती महिला की महिंद्रा फाइनेंस के ‘रिकवरी एजेंट’ ने ट्रैक्टर से कुचल कर हत्या कर दी थी। ट्रैक्टर उसके पिता ने कर्ज पर लिया था और किस्त समय पर नहीं चुकाने को लेकर एजेंट उसे लेने आए थे।
इस तरह की घटनाओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने नियमों में कई बदलाव किये हैं। इसमें अन्य बातों के अलावा कर्ज देने वाले ऐप को शुरू में ही यह बताना जरूरी है कि उन्होंने किस एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) या बैंक की तरफ से यह कर्ज दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक हमेशा डिजिटल तरीके से कर्ज देने का समर्थक रहा है और इसका स्वागत करेगा। अगर आप एक कदम उठाते हैं, हम वास्तव में इसपर चर्चा के लिये दो कदम उठाने को तैयार हैं।
लेकिन इस प्रकार के नवोन्मेष को भी जिम्मेदार होना चाहिए और उपभोक्ता को लाभ पहुंचाने के साथ वित्तीय प्रणाली की दक्षता और मजबूती को बढ़ाना चाहिए।’’ दास ने कहा, ‘‘मजबूत आंतरिक उत्पाद और सेवा आश्वासन रूपरेखा के साथ निष्पक्ष तथा पारदर्शी संचालन व्यवस्था ग्राहकों के हित में है। साथ ही यह वित्तीय प्रौद्योगिकी इकाइयों के लिये भी फायदेमंद है।