सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत छह आरोपियों को रिहा करने का दिया आदेश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नलिनी और आरपी रविचंद्रन सहित छह आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय-पूर्व रिहाई संबंधी याचिका की सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी. क्योंकि पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई में व्यस्त थी, जिसकी आंशिक सुनवाई हो चुकी थी.
तमिलनाडु सरकार ने पहले राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा माफ करने को लेकर राज्य सरकार की 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है.
दो अलग-अलग हलफनामों में राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि नौ सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने मामले के सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन दोषियों की आजीवन कारावास की शेष सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा था.
इस हत्याकांड में श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. श्रीहरन और रविचंद्रन दोनों पिछले साल 27 दिसंबर से अब तक पैरोल पर हैं. राज्य सरकार ने दोनों के अनुरोध पर ‘तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982′ के तहत पैरोल को मंजूरी दी थी.
श्रीहरन 30 साल से अधिक समय से वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में बंद है, जबकि रविचंद्रन मदुरै के केंद्रीय कारागार में बंद है और उसे 29 साल की वास्तविक कारावास और छूट सहित 37 साल की कैद हुई है.
इससे पहले 26 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय से पहले रिहाई की मांग से जुड़ी याचिका पर सोमवार को केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करते हुए याचिका पर उनका जवाब मांगा.
शीर्ष अदालत ने मामले में दोषी ठहराए गए आर पी रविचंद्रन की याचिका पर भी नोटिस जारी किए. नलिनी ने मद्रास उच्च न्यायालय के 17 जून के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें समय पूर्व रिहाई के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था और दोषी ठहराए गए ए जी पेरारीवलन की रिहाई को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लेख किया था.
उच्च न्यायालय ने 17 जून को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी श्रीहरन और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश दिया गया था. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि उच्च न्यायालयों के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा करने की शक्ति नहीं है.
उच्चतम न्यायालय के पास अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति है.ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान प्रतीकों के दुरुपयोग करने वाली याचिका को किया खारिजसंविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए शीर्ष अदालत ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. पेरारिवलन जेल में 30 साल से ज्यादा की सजा काट चुके थे.
तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई, 1991 की रात को एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी. इस पूरी साजिश में नलिनी की को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी जिसे 2001 में यह देखते हुए उम्र कैद में बदल दिया गया था कि उसकी एक बेटी भी है.

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