Rajsthan news-प्रधानमंत्री  मोदी की सभा से पहले वसुंधरा राजे के सक्रिय होने से राजे के चाहने  वालों के खिले चहरे !

प्रधानमंत्री  मोदी की सभा को यादगार बनाने के लिए प्रदेश पदाधिकारी पिछले कई दिनों से सक्रिय रहे । हर विधानसभा में प्रदेश से लेकर मंडल स्तर तक के पदाधिकारी गांव गांव घर घर घूम कर पीले चावल बांटकर लोगों को परिवर्तन संकल्प महासभा में शामिल होने का आमंत्रण दे रहे थे ।

Rajsthan news-प्रधानमंत्री  मोदी की सभा से पहले एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सक्रिय नजर आ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 2 सितंबर से शुरू हुई भाजपा  की परिवर्तन यात्राओं के शुभारंभ के मौके पर नजर आई थी। उसके बाद राजे पूरी परिवर्तन यात्रा से गायब रही। भाजपा  की 4 परिवर्तन यात्राएं प्रदेश में करीब 18 से 19 दिन चली, लेकिन राजे एक भी दिन यात्रा में शामिल नहीं हुई, जबकि सभी नेताओ को एक-एक करके सभी यात्राओं में शामिल होना था।प्रधानमंत्री  मोदी की रैली से पहले राजे का इस तरह के बयान के भी कई सियासी मायने हो सकते हैं। माना जा रहा था कि राजे लगातार चुनावों में अपनी भूमिका को स्पष्ट करवाना चाहती थी। लेकिन केन्द्र से उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा था।

 अब अचानक प्रधानमंत्री  मोदी की रैली से दो दिन पहले राजे फिर से सक्रिय नजर आ रही हैं।प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की सारी व्यवस्थाएं महिलाओं के जिम्मे रखी गई है। शर्मा का दावा है कि देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी प्रधानमंत्री  की सभा की सारी व्यवस्थाएं महिलाएं संभालेगी। यह नारी सशक्तिकरण को लेकर एक बड़ी पहल है। सभा के दौरान पंडाल की बैठक व्यवस्था महिलाएं देखेंगी। साथ ही पार्किंग और सभा में आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए जल सेवा आदि कार्यों में महिलाएं हाजिर रहेंगी।

बताया जाता है कि शनिवार को राजे ने रक्षासूत्र कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें प्रदेशभर से बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची। इसके बाद रविवार को राजे ने रामलीला मैदान में धर्म रक्षा समिति द्वारा आयोजित मातृशक्ति समागम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  उन्होंने कहा था  आज हर तरफ़ महिलाओं के अपमान की खबरें सुनाई दे रही है। एक दिन में 20-20 महिला अत्याचार।कदम-कदम पर मातृशक्ति का अपमान। महिलाओं से दुष्कर्म के करीब 1400 प्रकरण लंबित। हालात इतने खराब कि इनसे निपटने के लिए अब मातृशक्ति को आगे आना होगा, क्योंकि संघर्ष के बिना महिलाएं समाज में परिवर्तन नहीं ला सकती हैं। आपकी सेवा करूंगी, आपके साथ रहूंगी। आपकी आवाज आपके साथ उठाने में कोई कमी नहीं रखूंगी। आपकी शक्ति, आपका साथ, आशीर्वाद बना हुआ है। यह इतना मजबूत है कि जो कोई भी तोड़ने की कोशिश करेगा, टूटेगा नहीं।  उन्होंने कहा कि जिस तरह से महाभारत में कृष्ण की अंगुली कट गई थी तब द्रौपदी ने साड़ी फाड़ कर कृष्ण की उंगली पर बांधी थी। कृष्ण ने भी कोरवों से द्रौपदी की रक्षा की। महिलाओं द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के बाद राजे ने कहा कि अब वे भी कृष्ण की प्रेरणा से लोगों की सेवा करेंगी और हर राजस्थानी के हक के लिए लड़ती रहेंगी।

महिलाओं द्वारा रक्षा सूत्र बांधे जाने पर वसुंधरा राजे ने कहा कि मातृशक्ति का यह रक्षा सूत्र उन्हें हर मुश्किल से हौसला देगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के जोश को देखकर लगता है कि नारी शक्ति का यह प्रवाह राजस्थान की महिला विरोधी कांग्रेस सरकार को बहाकर ले जाएगा। यूं तो यह रक्षा सूत्र एक कच्चा धागा है लेकिन उनके लिए यह बहुत की मजबूत और अटूट है। राजे ने कहा कि यह सूत्र उनके लिए सुरक्षा कवच है। इसमें राजस्थान की संपूर्ण महिलाओं की शक्ति है जो उन्हें हर मुश्किल पार करने का हौसला देगा।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई दी। राजे ने कहा कि मोदी जी ने महिला आरक्षण बिल के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि मातृशक्ति की भागीदारी के बिना किसी भी राष्ट्र के नव निर्माण की कल्पना अधूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग लम्बे समय से चल रही थी लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं की इस मांग को पूरा करके महिलाओं के सम्मान और उनके हक की रक्षा की है।

गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने रविवार शाम वसुंधरा राजे से मिलने उनके सरकारी आवास पर पहुंचे  थे । गजेन्द्र सिंह शेखावत का इस तरह से राजे के आवास पर पहुंचना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया।राजे व गजेन्द्र सिंह एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते है, लेकिन जिस  तरह से प्रधानमंत्री  की रैली से एक दिन पहले केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह के वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

राजस्थान में दो महीने बाद विधानसभा चुनाव है लेकिन वसुंधरा राजे फिलहाल चुनाव प्रचार में एक्टिव नहीं हुई हैं। पार्टी की ओर से प्रदेशभर में परिवर्तन संकल्प यात्राएं निकाली गई लेकिन केन्द्रीय नेताओं के साथ यात्रा को हरी झंडी दिखाने के अलावा वसुंधरा राजे ने परिवर्तन यात्रा से दूरी बनाए रखी। भाजपा  ने इस बार किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। राजे को सीएम चेहरा घोषित नहीं किए जाने पर राजे और उनके समर्थक पार्टी से नाराज नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री  मोदी की सभा से ठीक दो दिन पहले राजे के आवास पर हुए शक्ति प्रदर्शन ने भी सबको चौंका दिया है। सियासी गलियारों में यह चर्चाएं हैं कि राजे को नजरअंदाज करके पार्टी को महंगा पड़ सकता है।

प्रधानमंत्री  मोदी की सभा को यादगार बनाने के लिए प्रदेश पदाधिकारी पिछले कई दिनों से सक्रिय रहे । हर विधानसभा में प्रदेश से लेकर मंडल स्तर तक के पदाधिकारी गांव गांव घर घर घूम कर पीले चावल बांटकर लोगों को परिवर्तन संकल्प महासभा में शामिल होने का आमंत्रण दे रहे थे । हर विधानसभा क्षेत्रों में लगातार बैठकें आयोजित की जा रही थी  ताकि सभा में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाई जा सके।वैसे पार्टी के नेताओं के मुताबिक प्रदेशभर से करीब 5 लाख कार्यकर्ता और आमजन प्रधानमंत्री  मोदी की सभा में शामिल होंगे।

वैसे अब तक ऐसा लग रहा था  एक जमाने में राजस्थान की राजनीति में भाजपा  का अहम चेहरा रहीं वसुंधरा को इस बार पार्टी में अपनी भूमिका तक स्पष्ट करवाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ये हाल तब है जब अपने जन्मदिन की रैली, धार्मिक यात्रा और अन्य कार्यक्रमों के जरिए वह न केवल अपनी ताकत दिखा रही है बल्कि अपने बयानों से भी अपनी दावेदारी जता रही हैं।यह तथ्य भी सर्वविदित है कि सत्ता से बाहर होने और लंबे समय से आला नेताओं की बेरुखी का सामना करने के बावजूद वसुंधरा राजे काफी कद्दावर हैं। वो आज भी राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से 60-70 सीटों पर चुनाव हराने का दम-खम रखती हैं। जाट, राजपूत और गुर्जर मतदाताओं पर अच्छी खासी पकड़ रखने वाली वसुंधरा राजे राज्य की महिला मतदाताओं में काफी लोकप्रिय हैं।

भाजपा  को भी उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक ताकत का बखूबी अंदाजा है। इसलिए उन्हें लगातार मैनेज करने का प्रयास भी किया जा रहा है। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जे.पी. नड्डा के कार्यक्रमों में उन्हें मंच पर जगह दी जा रही है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब दिल्ली में राजस्थान के सांसदों के साथ बैठक की थी तो उन्हें सांसद नहीं होने के बावजूद उस बैठक में आमंत्रित किया गया था

इसका दूसरा पहलू यह है कि  वसुंधरा राजे की बार-बार मांग के बावूजद उनकी भूमिका को स्पष्ट नहीं करके पार्टी ने यह राजनीतिक संदेश तो दे ही दिया कि वरिष्ठता और लोकप्रियता का सम्मान है। लेकिन पार्टी कर्नाटक की तर्ज पर बदलाव का मन बना चुकी है। ज्यादातर सीटों पर पार्टी नए उम्मीदवारों को टिकट देगी। कई सांसदों को भी विधायकी में उतारने का मन बना लिया गया है और इसके लिए पार्टी कोई भी जोखिम लेने को तैयार है।हो सकता है इस सभा में प्रधानमंत्री कोई घोषणा कर दे ।

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