Hamirpur News-एस डी एम सदर ने जिलाधिकारी बंगला भूमि प्रकरण पर तत्कालीन एसडीएम सहित 13 के खिलाफ दर्ज कराया

Hamirpur News-मुख्यालय मे हमीरपुर जिलाधिकारी आवास , परिसर व उससे लगी 58, 14एकड़ जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार करने, सरकारी अभिलेखों को न्यायालय में दाखिल न करने, और विरोधी पक्ष से लाभ से लाभ लेकर सरकार के केस को कमजोर करने सहितअन्य गंभीर मामलों के चलते जिलाधिकारी के निर्देश पर उप जिलाधिकारी सदर विश्वकर्मा प्रसाद विश्वकर्मा ने तत्कालीन उप जिलाधिकारी तहसीलदार , न्याब तहसीलदार व विपक्षी सहित 13 लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मामला सदर कोतवाली में दर्ज कराया हैं।

जानकारी के अनुसार वेश कीमती सरकारी जमीन की कीमत 1000 करोड़ बताई गई है।की सरकारी भूमि के कागज में फर्जीवाड़ा; पूर्व उपजिलाधिकारी, तहसीलदार सहित 13 पर केस फर्जी केस कोर्ट में है, मामले मे विपक्षियों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने कूटरचित अभिलेख तैयार करवाये कराए गए हैं जिससे विपक्षी को न्यायालय से लाभ मिला है। इस मामले की जानकारी होने पर शासन नेजिलाधिकारी को कठोरता कार्यवाही किए जाने की निर्देश दिये थे ।

जिलाधिकारी घनश्याम मीणा ने बताया कि हमीरपुर सदर तत्कालीन उप जिलाधिकारी विजय कुमार गुप्ता,,तहसीलदार बलकरन यादव , नायब तहसीलदार जैनेन्द्र कुमार,शहर लेखपाल राज किशोर, आदि लोगों ने सरकारी अभिलेखों में हेरा फेरी कर शासकीय अभिलेखों को न्यायालय में दाखिल न करने और विपक्षी को लाभ पहुंचाने की गरज से फर्जी अभिलेख तैयार का आरोप है।। इस मुकदमा के वादी उपजिलाधिकारी सदर सुकमा प्रसाद विश्वकर्मा है। सदर कोतवाली मे मुकदमा दर्ज कराये जाने से राजस्व विभाग मे हडकंप मच गया है।

जनपद के डीएम के बंगले और उससे लगी 58.14 एकड़ की बेशकीमती कृषि भूमि को अकृषिक दर्शाने और विपक्षियों को फायदा पहुंचाने के लिए अभिलेखों से छेड़छाड़ के आरोप में एसडीएम सदर ने तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और सदर लेखपाल सहित 13 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज कराई है. इन पर बेईमानी व धोखाधड़ी समेत 7 धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है. ।जमीन पर दावे का यह प्रकरण लंबे समय से हाईकोर्ट में लंबित है । हमीरपुर डीएम घनश्याम मीणा ने बताया कि उक्त भूमि करीब एक हजार करोड़ की कीमत की हैं। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

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अफसरों व कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका–
एसडीएम सदर सुक्रमा प्रसाद विश्वकर्मा ने तहरीर में बताया है कि डीएम आवास और उससे सटी मेरापुर डांडा की 51.89 एकड़ और भिलावां डांडा की 6.25 एकड़ खेतिहर जमीन के अभिलेखों के कूटरचित अभिलेख बनाए गए. ममाले में वर्ष 2004 से लेकर 2007 तक सदर तहसील में कार्यरत रहे एसडीएम विजय कुमार गुप्ता, तत्कालीन तहसीलदार, तत्कालीन नायब तहसीलदार जैनेंद्र सिंह और सदर लेखपाल राज किशोर आदि की भूमिका पर सन्देह है।

सरकारी संपत्ति विपक्षियों को देने के लिए फर्जीवाड़ा—
एसडीएम सदर ने बताया कि तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और सदर लेखपाल के साथ ही मुकदमे में पैरवी करने व अन्य 13 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।आरोप है कि इन अधिकारियों व कर्मचारियों ने षड्यंत्र कर विपक्षीगण को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से छल व बेईमानीपूर्वक अवैध लाभ प्राप्त कर कूटरचित अभिलेख तैयार किए। साथ ही सही अभिलेख न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किए गए। लोकसेवक होते हुए सरकारी संपत्ति को बेईमानी से विपक्षीगण को लाभ पहुंचाया गया है इनके द्वारा करोड़ों की सरकारी भूमि को विपक्षीगण के नाम कराने के लिए भ्रष्टाचार किया गया।

भूमि के दस्तावेजों मे नामजद आरोपी–
एफआईआर में कानपुर के स्वरूप नगर निवासी रमेश कुमार सिंघल, जानकीशरण सिंघल, राधारमण सिंघल, तिलकनगर पूर्वी कानपुर निवासी प्रकाश मोहन सिंघल, वाराणसी निवासी सूर्यनारायण, लखनऊ निवासी विवेक कुमार, शहर के रमेड़ी निवासी विशाल सिंघल, हिमांशु सिंघल, आनंदेश्वर अग्रवाल को भी नामजद किया गया है. आरोपियों का दावा था कि जिलाधिकारी आवास उनकी पुश्तैनी जमीन पर बना है. इसके लिए उन लोगों ने उस समय के अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवा लिए. अब मामला सामने आने पर एसडीएम ने उस समय के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है जमीन का इतिहास–
भूमि के विवाद की शुरुआत देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 से होती है.। दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार ने बगावत करने के जुर्म में उस वक्त के क्रांतिकारी माधवराव व नारायनराव की कोठी तथा उससे संबद्ध भूमि जब्त कर ली थी, जिस पर वर्तमान में डीएम का बंगला और खेतिहर जमीन है. उक्त भूमि नजूल की संपत्ति है, जो 1932 में राजस्व विभाग को हस्तांतरित की गई. आज तक राजस्व विभाग के रूप में दर्ज है और सरकार के कब्जे में चली आ रही है।

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