Javed Hussain inspiring story: आरपीएल में चमके जावेद हुसैन – संघर्ष, साहस और सफलता की मिसाल
Javed Hussain inspiring story: रग्बी प्रीमियर लीग (आरपीएल) को शुरू हुए अभी एक सप्ताह ही हुआ है, और हैदराबाद हीरोज ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है। अब तक चारों मैचों में जीत हासिल कर टीम 15 अंकों के साथ अंक तालिका में शीर्ष स्थान पर है। इस शानदार सफर के केंद्र में हैं – जावेद हुसैन। दिल्ली के वसंत कुंज की झुग्गियों से निकलकर रग्बी के अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने वाले जावेद आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
संघर्ष की गहराइयों से सफलता की ऊंचाइयों तक
जावेद का जीवन केवल खेल की कहानी नहीं, बल्कि एक जुनून, जिद और ज़िंदगी से जंग की कहानी है। उन्होंने अब तक चार ट्राई और 20 अंक बनाकर न सिर्फ अपनी टीम को मजबूती दी है, बल्कि वे लीग के सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ियों में शुमार हो गए हैं। कुल अंकों की सूची में वह सातवें स्थान पर हैं, और हर मैच में उनका प्रदर्शन टीम के लिए निर्णायक साबित हो रहा है।
मुंबई ड्रीमर्स के खिलाफ जीत के बाद जावेद को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया। अपनी पहली आरपीएल पारी को याद करते हुए वे कहते हैं, “पहले मैच में बहुत घबराया हुआ था। नहीं पता था कि इन दिग्गजों के सामने कैसा खेल पाऊंगा। लेकिन जैसे ही पहला ट्राई किया, सारा डर खत्म हो गया। मैच के बाद कोच ने मुझे ‘हीरो ऑफ द डे’ कहा और एक जर्सी दी… मैं वह जर्सी पाकर रो पड़ा।”
झुग्गियों से उठी एक उम्मीद की लौ
वसंत कुंज की झुग्गियों में जावेद का बचपन अभावों के बीच बीता। घर में शौचालय तक नहीं था, जंगल में जाना पड़ता था। लेकिन जब एक एनजीओ ‘अर्थ फाउंडेशन’ ने उस जंगल को मैदान में बदला और दिल्ली हरिकेन्स क्लब के कोच बच्चों को रग्बी सिखाने आए — तब शुरू हुआ एक नया अध्याय। “मैं पहले सिर्फ देखता था, खेलने से डरता था। एक दिन कोच ने कहा कि अगर खेलूंगा तो ‘टाइगर बिस्किट’ मिलेगा। उस बिस्किट के लालच में मैंने खेलना शुरू किया… और आज रग्बी मेरा जुनून बन चुका है।”
पैसे या शोहरत नहीं, अनुभव है असली संपत्ति
जावेद ने साफ कहा कि वे आरपीएल में पैसे या प्रसिद्धि के लिए नहीं खेल रहे, बल्कि सीखने और खुद को बेहतर बनाने के लिए मैदान में उतरते हैं। “जब मैंने लीग जॉइन की, तब मुझे पैसों की फिक्र नहीं थी। मेरा सपना था उन खिलाड़ियों के साथ खेलना जिन्हें मैं टीवी पर देखा करता था। उनके साथ खेलकर, उनसे सीखकर ही मैं खुद को बड़ा खिलाड़ी मानूंगा, भले ही मैं ज्यादा स्कोर न करूं।
दिग्गजों के बीच चमकता सितारा
हैदराबाद हीरोज के ड्रेसिंग रूम में जावेद को ओलंपिक मेडलिस्ट जोजी नासोवा, टेरियो तमानी और स्पेनिश कप्तान मनु मोरेनो जैसे दिग्गजों के साथ खेलने का मौका मिल रहा है। कोचिंग की बागडोर संभाल रहे हैं डीजे फोर्ब्स, जो ऑल ब्लैक्स सेवन्स टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं। “कोच मुझ पर कभी दबाव नहीं डालते। वे मेरी ताकत पहचानते हैं और मुझे सही दिशा में गाइड करते हैं। कप्तान मनु मोरेनो भी हमेशा मेरी मदद करते हैं, गलती होने पर प्यार से समझाते हैं।”
‘मॉम’, ‘डैड’ और दिल – दिल से खेलते हैं जावेद
हर मैच में जावेद अपने हाथ पर ‘मॉम’, ‘डैड’ और एक दिल का चित्र बनाते हैं। उनके लिए ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत हैं। “जब कुछ नहीं था, तब मेरे पापा ने अपनी हर सीमा तोड़कर मेरी जरूरतें पूरी कीं। उनकी मेहनत और मम्मी की दुआओं के बिना मैं यहां नहीं पहुंच सकता था।”
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जावेद हुसैन की कहानी बताती है कि अगर जज़्बा हो, तो झुग्गियों से निकलकर भी कोई शिखर को छू सकता है। आज वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं की उम्मीद बन चुके हैं जो कठिनाइयों में भी सपना देखना नहीं छोड़ते।