Internet shutdown in India: हूती विद्रोहियों से भारत में इंटरनेट ठप होने का खतरा, गूगल, जियो और एयरटेल की बढ़ी टेंशन
Internet shutdown in India: यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में बढ़ते तनाव के कारण भारत के इंटरनेट पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। भारत का अधिकांश इंटरनेट डेटा लाल सागर के रास्ते से गुजरने वाली सबमरीन केबल्स के माध्यम से आता है। इन केबल्स को नुकसान पहुंचने की स्थिति में भारत में इंटरनेट सेवाएँ बाधित हो सकती हैं। गूगल, रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियाँ इस खतरे को लेकर सतर्क हो गई हैं।
लाल सागर क्यों है भारत के लिए महत्वपूर्ण?
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए लाल सागर का समुद्री मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मार्ग भारत को वैश्विक इंटरनेट से जोड़ता है। इसी रास्ते से गूगल की ‘ब्लू-रमन’, एयरटेल की ‘2 अफ्रीका’ और ‘सी मी वे 6’ (Sea Me We 6), और रिलायंस जियो की ‘इंडिया-यूरोप-एक्सप्रेस’ जैसी महत्वपूर्ण सबमरीन केबल्स मुंबई और चेन्नई तक पहुंचती हैं। इन केबल्स पर ही भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी टिकी हुई है।
केबल कंपनियों ने निकाली वैकल्पिक योजनाएँ
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस खतरे से निपटने के लिए प्रमुख केबल कंपनियों ने वैकल्पिक योजनाएँ बनानी शुरू कर दी हैं। कंपनियों ने अतिरिक्त फाइबर केबल्स को जोड़ने का काम शुरू कर दिया है, ताकि यदि मौजूदा केबल्स क्षतिग्रस्त हों, तो इंटरनेट सेवाएँ बाधित न हों।
विशेषज्ञों का कहना है कि लाल सागर में तनाव इतना बढ़ गया है कि यदि केबल कटती है, तो उनकी मरम्मत करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसी वजह से, कुछ कंपनियाँ अब लाल सागर के बजाय जमीन के रास्ते से केबल्स बिछाने पर विचार कर रही हैं। हालाँकि, यह एक महंगी प्रक्रिया है, जिससे डेटा सेंटर और क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स का खर्च बढ़ सकता है।
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फिरौती और दबाव की रणनीति
यमन के हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। पिछले एक महीने में उन्होंने दो कमर्शियल कार्गो जहाजों को डुबो दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये विद्रोही केबल्स की मरम्मत करने वाले जहाजों से भी फिरौती वसूलते हैं। हूती विद्रोही इन केबल्स को काटने की धमकी देकर कुछ देशों पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका द्वारा जवाबी कार्रवाई के बावजूद उनकी गतिविधियां कम नहीं हुई हैं।