DRDO’s big disclosure: भारत बना रहा स्वदेशी फाइटर जेट, चीन-अमेरिका के क्लब में शामिल

DRDO’s big disclosure: भारत अब पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने की राह पर है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिलीबाबू विजयकुमार ने हाल ही में तमिलनाडु में यह महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि भारत एक पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिससे भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अपनी खुद की पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता है।

देश के लिए अनुसंधान की आवश्यकता

तमिलनाडु में आयोजित ‘यूथ एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस साइंस कांग्रेस (YASSC) 2025’ कार्यक्रम में बोलते हुए, डॉ. विजयकुमार ने अनुसंधान (Research) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान बहुत जरूरी है और छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इस कार्यक्रम में 350 से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने 170 टीमों में लगभग 500 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।

कावेरी 2.0: स्वदेशी इंजन का कमाल

इस स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजना के केंद्र में, गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा विकसित किया जा रहा एक नया टर्बोफैन इंजन, कावेरी 2.0 है। यह इंजन अमेरिका के GE-F414 इंजन जैसी ताकत हासिल करने का लक्ष्य रखता है। यह 55 से 58 kN का थ्रस्ट (जोर) और आफ्टरबर्नर के साथ 90 kN से अधिक थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम होगा, जिससे यह पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट के लिए उपयुक्त होगा।

AMCA: भारत का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट

भारत का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) है। यह एक सिंगल-सीट, दोहरे इंजन वाला, हर मौसम में उड़ने वाला बहु-उद्देश्यीय स्टील्थ फाइटर जेट होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, 2027 तक इसके पहले प्रोटोटाइप की उड़ान सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इस विमान के सफल विकास से भारत उन देशों की लीग में शामिल हो जाएगा जिनके पास अपनी खुद की पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता है, जैसे अमेरिका, रूस, और चीन। यह एक ऐसा कदम है जिससे पाकिस्तान के पास फिलहाल ऐसी कोई क्षमता नहीं है।

AMCA की खास विशेषताएं 

AMCA का स्टील्थ डिज़ाइन इसे दुश्मन के रडार पर बहुत कम दिखाई देता है। इसमें इंटरनल वेपन बे भी होगा, जो रडार से इसकी सुरक्षा को और बढ़ाएगा। इसके अलावा, यह बिना आफ्टरबर्नर के भी ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता है, जिससे ईंधन की बचत होगी और इसकी रेंज बढ़ेगी। इसमें एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट और सेंसर फ्यूजन जैसी क्षमताएं भी होंगी, जो पायलट को युद्ध की पूरी जानकारी देगा।

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रक्षा मंत्रालय की योजना

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इस प्रोजेक्ट को DRDO की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) को सौंपा गया है और इसमें निजी कंपनियां भी शामिल होंगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2035 तक इस विमान का उत्पादन शुरू हो जाएगा और शुरुआत में 120 विमानों की डिलीवरी की जाएगी। यह कदम भारत को एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा और भारतीय वायु सेना को और भी मजबूत करेगा।

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