‘भारत की कीमत पर पाकिस्तान से दोस्ती नहीं’, अमेरिका की पाकिस्तान को दो टूक

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वाशिंगटन पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाएगा, लेकिन भारत से संबंधों की कीमत पर नहीं।

New Delhi. अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है, लेकिन यह संबंध भारत के साथ ऐतिहासिक और गहरे रिश्तों की कीमत पर नहीं होंगे। उन्होंने इसे अमेरिका की एक परिपक्व और व्यावहारिक विदेश नीति का हिस्सा बताया।

रुबियो ने शनिवार को दोहा जाने वाली उड़ान में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत के भी ऐसे देशों के साथ संबंध हैं, जिनके साथ अमेरिका के नहीं हैं। यह सामान्य कूटनीतिक व्यवहार है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के साथ हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह भारत के साथ हमारे गहरे, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संबंधों या मित्रता की कीमत पर है।

समाचार एजेंसी के अनुसार, रुबियो ने बताया कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ आतंकवाद-रोधी सहयोग, रणनीतिक स्थिरता और आर्थिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में नए अवसर तलाशना चाहता है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत-अमेरिका संबंध 21वीं सदी की साझेदारी हैं और इन पर किसी भी तीसरे देश का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बयान के मायने

रुबियो के इन बयानों को ऐसे समय में देखा जा रहा है जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। ट्रंप ने हाल के महीनों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर की प्रशंसा करते हुए उन्हें महान नेता बताया था – वही शब्द जो वे अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।

अमेरिका और पाकिस्तान ने हाल ही में महत्वपूर्ण खनिजों और तेल की खोज को लेकर कई समझौते किए हैं। वहीं, ट्रंप प्रशासन ने भारत के निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, जिसे रूस से तेल खरीदने पर एक तरह का “प्रतिबंध” बताया जा रहा है। पाकिस्तान पर यह दर केवल 19 फीसदी है।

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रुबियो ने कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने संबंधों को तथ्य आधारित और व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखता है। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ चुनौतियों से वाकिफ हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ भी आतंकवाद-रोधी सहयोग का एक लंबा इतिहास है। यदि संभव हो तो हम उसे आगे बढ़ाना चाहेंगे।

ट्रंप के दावे को भारत ने किया खारिज

अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि वे सोमवार को मलेशिया में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन के इतर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में व्यापार समझौते, ऊर्जा आपूर्ति और रूसी तेल के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है।

रुबियो ने कहा कि भारत ने अमेरिका को आश्वस्त किया है कि वह तेल आपूर्ति में विविधता लाने और अमेरिका से अधिक तेल खरीदने के अपने इरादे से अवगत करा चुका है। उन्होंने कहा कि हम जितना अधिक भारत को बेचेंगे, वह दूसरों से उतना ही कम खरीदेगा।

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ट्रंप ने हाल में दावा किया था कि मोदी ने उनसे रूसी तेल खरीद बंद करने का वादा किया है, हालांकि भारत ने इसे कूटनीतिक रूप से खारिज किया है। अमेरिका का कहना है कि रूस से तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित करता है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा दो प्रमुख रूसी तेल आपूर्तिकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश में है। फिलहाल रूस भारत के कुल तेल आयात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा आपूर्ति करता है।

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