New Delhi: एमएमपीए से विदेश में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की राह हुई आसान
New Delhi: भारतीय छात्रों की सुरक्षा, सुविधा और हितों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार लगातार विदेशों के साथ अपने सहयोग को मजबूत कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने कई देशों के साथ माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट (एमएमपीए) साइन किए हैं, जिससे विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए रास्ता पहले से कहीं अधिक सरल और सुरक्षित हो गया है।
राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि एमएमपीए भारतीय छात्रों को व्यवस्थित, कानूनी और सुरक्षित तरीके से विदेश जाने में मदद करता है। यह एग्रीमेंट वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाता है, पढ़ाई के बाद अवसरों का मार्ग खोलता है और छात्रों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान करता है।
सात देशों के साथ एमएमपीए
भारत ने अब तक इन सात देशों के साथ माइग्रेशन और मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट किया है—
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फ्रांस
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ब्रिटेन
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जर्मनी
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ऑस्ट्रिया
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ऑस्ट्रेलिया
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इटली
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डेनमार्क
सरकार का उद्देश्य स्टूडेंट मोबिलिटी को बढ़ावा देना, उच्च शिक्षा के मौकों का विस्तार करना और वीज़ा एवं वर्क परमिट प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, ताकि छात्र बिना किसी अनावश्यक परेशानी के अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
भारतीय दूतावासों की सक्रिय भूमिका
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि विदेशों में स्थित भारतीय मिशन लगातार छात्रों के संपर्क में रहते हैं। दूतावास अधिकारी विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों का दौरा करते हैं, छात्रों से संवाद करते हैं और किसी भी अकादमिक या सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर तुरंत ध्यान देते हैं। इससे छात्रों को एक सुरक्षित और विश्वसनीय वातावरण मिलता है।
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आपात स्थितियों में भारत की तत्परता
राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने हाल के वर्षों में भारत द्वारा चलाए गए बड़े इवैक्यूएशन ऑपरेशन का भी उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं—
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ऑपरेशन देवी शक्ति (अफ़गानिस्तान)
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ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन)
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ऑपरेशन कावेरी (सूडान)
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ऑपरेशन अजय (इजरायल)
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ऑपरेशन सिंधु (इजरायल-ईरान क्षेत्र)
इन अभियानों ने साबित किया है कि भारत किसी भी संकट की घड़ी में अपने नागरिकों—विशेषकर विदेशों में पढ़ रहे छात्रों—की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
एमएमपीए के लागू होने से छात्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के अवसर अधिक सुलभ, सुरक्षित और व्यवस्थित हो गए हैं, जिससे विदेश में पढ़ाई का सपना देखने वालों को नई राहत और उम्मीद मिली है।



