Corruption in MNREGA: डीसी मनरेगा के ठेंगे पर आयुक्त ग्राम्य विकास का आदेश
Corruption in MNREGA: कौशाम्बी जिले में मनरेगा योजना के संचालन में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डीसी मनरेगा (जिला समन्वयक) द्वारा इन आदेशों को नजरअंदाज किया जा रहा है। नियम के अनुसार, जिस विकास खंड में लेखाकार की तैनाती नहीं है, वहां वरिष्ठ सहायक, प्रधान सहायक या सहायक लेखाकार से कार्य संपादित कराना चाहिए, वह भी जिलाधिकारी की अनुमति के बाद। लेकिन कौशाम्बी के विकास खंड नेवादा और सिराथू में बिना अनुमति के ही सामान्य लिपिकों से करोड़ों रुपये का भुगतान करवाया जा रहा है।
उर्दू अनुवादक से मनरेगा का संचालन – शासनादेश के विरुद्ध
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विकास खंड सिराथू में काजी आफताब अहमद, जो कि एक उर्दू अनुवादक हैं, उन्हें मनरेगा योजना का कार्य सौंपा गया है। शासन की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है कि उर्दू अनुवादक मनरेगा जैसे आर्थिक एवं तकनीकी योजना का संचालन कर सकता है। बावजूद इसके, पूरे साल में करोड़ों रुपये की धनराशि उनके माध्यम से खर्च की जा रही है, जिससे डीसी मनरेगा की मिलीभगत के संदेह को बल मिल रहा है।
राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्रवाई ठप
जिला स्तरीय अफसरों की आंखें बंद हैं और डीसी मनरेगा मनमानी पर उतारू हैं। स्थानीय स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि डीसी मनरेगा को किसी प्रभावशाली नेता का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। आयुक्त ग्राम्य विकास के निर्देशों की अवहेलना और भ्रष्टाचार के स्पष्ट प्रमाणों के बावजूद उच्च अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत, जांच की मांग तेज
डीसी मनरेगा की भूमिका पर उठ रहे सवाल अब मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच चुके हैं। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में करोड़ों की धनराशि के दुरुपयोग से प्रदेश सरकार की छवि को भी नुकसान हो सकता है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या डीसी मनरेगा के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा।
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जवाबदेही तय करना समय की मांग
कौशाम्बी जिले में मनरेगा योजना में जिस तरह से नियमों की अनदेखी कर करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है, वह प्रदेश सरकार की नीति और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। अगर समय रहते जांच नहीं हुई तो यह भ्रष्टाचार प्रदेश के अन्य जिलों में भी फैल सकता है। ज़रूरत है कि शासन तत्काल प्रभाव से निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे।