Indian textile industry: अमेरिकी टैरिफ का संकट और 40 नए बाजारों का अवसर

Indian textile industry: हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय कपड़ा और परिधान उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने के ऐलान ने भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत के लिए अमेरिका एक प्रमुख निर्यात बाजार रहा है। हालांकि, केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह का दावा है कि इस झटके के बावजूद भारतीय उद्योग मजबूत है और अमेरिका पर निर्भरता उतनी व्यापक नहीं है, जितनी दिखाई देती है। भारत के कुल कपड़ा और परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी केवल 8 से 10 प्रतिशत है।

सरकार की रणनीति: नए बाजारों की तलाश

अमेरिकी टैरिफ की चुनौती का सामना करने के लिए भारत सरकार ने एक बहु-आयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें बाजार विविधीकरण (market diversification) प्रमुख है। कपड़ा मंत्रालय ने 40 नए संभावित बाजारों की पहचान की है, जिनमें यूरोप, खाड़ी देश, एशिया-प्रशांत और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन देशों में यूनाइटेड किंगडम, जापान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जर्मनी, फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रेलिया जैसे महत्वपूर्ण साझेदार शामिल हैं।

यूरोप को एक बड़ा अवसर माना जा रहा है, क्योंकि यूरोपीय संघ (EU) का कुल कपड़ा आयात सालाना लगभग 268 बिलियन डॉलर है, जो अमेरिकी बाजार से कहीं अधिक है। यदि भारत इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा पाता है, तो अमेरिका से होने वाले नुकसान की भरपाई आसानी से हो सकती है।

FTA बन रहा है संजीवनी

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) किए हैं, जिनसे भारतीय कपड़ा उद्योग को लाभ मिल रहा है। हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच भी एफटीए पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसका लाभ भी जल्द ही मिलना शुरू हो जाएगा।

यूरोपीय संघ के साथ चल रही एफटीए वार्ता पर सभी की नजरें टिकी हैं। यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारतीय उत्पादों को यूरोपीय बाजार में शुल्क राहत मिलेगी और वे बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में आ जाएंगे।

पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क जैसे पहल

सरकार केवल नए बाजार तलाशने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि घरेलू स्तर पर भी उद्योग को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए चार समितियों का गठन किया गया है, जिनका उद्देश्य बाजार विविधीकरण, लागत प्रतिस्पर्धा, नियमों में सरलता और संरचनात्मक सुधारों पर काम करना है।

पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क जैसी परियोजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो पूरे उत्पादन चक्र (धागे से लेकर तैयार परिधान तक) को एक ही स्थान पर लाकर लागत और समय की बचत करते हैं। भारत का कपड़ा उद्योग, जो कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देता है, अपनी कपास, जूट, रेशम और हथकरघा कला जैसी विविधताओं के कारण भी अद्वितीय है।

Indian textile industry: also read- Sonbhadra News-सुभासपा ने आगामी चुनाव को लेकर कसी कमर, कार्यकर्ताओं को मिलेगा अवसर

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

हालांकि, इस अवसर को भुनाने के लिए भारत को कुछ चुनौतियों से पार पाना होगा। इनमें बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले उत्पादन लागत को कम करना, वैश्विक गुणवत्ता और पर्यावरण मानकों का पालन करना और ‘जस्ट इन टाइम’ डिलीवरी सुनिश्चित करना शामिल है।

कुल मिलाकर, अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय कपड़ा उद्योग को हिलाया जरूर है, लेकिन इसे एक स्थायी संकट नहीं माना जा रहा है। सरकार की रणनीति, नए बाजारों की खोज, एफटीए पर जोर और घरेलू सुधारों के माध्यम से इस चुनौती को एक अवसर में बदलने की पूरी क्षमता है। यदि उद्योग जगत सरकार के साथ मिलकर दक्षता, गुणवत्ता और आपूर्ति श्रृंखला को सुधारता है, तो यह संकट वास्तव में भारत के लिए एक नया और अधिक स्थिर निर्यात भविष्य खोल सकता है।

Related Articles

Back to top button