KP Oli’s first reaction: नेपाल में तख्तापलट के बाद केपी ओली का पहला रिएक्शन,’भारत विरोधी तेवर’ बरकरार, बताई अपनी लोकेशन

KP Oli’s first reaction: नेपाल में हुए तख्तापलट और देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने इस्तीफे के बाद पहली बार एक खुला पत्र जारी किया है। इस पत्र में उन्होंने अपनी वर्तमान लोकेशन का भी जिक्र किया है और साथ ही भारत विरोधी तेवरों को भी एक बार फिर से उजागर किया है। ओली के इस्तीफे को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने स्वीकार कर लिया है, और उन्हें कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया है।

पत्र में लोकेशन और Gen-Z को संबोधन

अपने पत्र में ओली ने कहा, “आज, शिवपुरी में नेपाल सेना के सैनिकों से घिरे एक सुरक्षित और अलग क्षेत्र में बैठकर, मैं आप सभी को याद कर रहा हूं।” उन्होंने यह पत्र Gen-Z आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए लिखा है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके आवास और संसद को आग के हवाले किए जाने के बाद हुई हिंसा पर भी दुख जताया, लेकिन साथ ही कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह सब कुछ युवाओं द्वारा नहीं किया गया है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी साजिश है।

भारत को लेकर फिर छेड़ा विवाद

ओली ने अपने पत्र में एक बार फिर भारत के साथ सीमा विवाद और भगवान राम को लेकर दिए गए अपने बयानों का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, “अगर यह जिद नहीं होती, तो मैं कठिनाइयों में बहुत पहले ही हार मान लेता। इसी जिद की वजह से मैंने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा कि वे नेपाल के नियमों का पालन करें और यहाँ रजिस्टर हों। इसी जिद की वजह से मैंने घोषणा की कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं। इसी जिद की वजह से मैंने शास्त्रों में बताए अनुसार कहा कि भगवान राम का जन्म भारत में नहीं बल्कि नेपाल में हुआ था।”

‘पद और प्रतिष्ठा मेरे लिए मायने नहीं रखती’

ओली ने अपने पत्र में यह भी बताया कि सत्ता में रहना उनके लिए कभी मायने नहीं रखा। उन्होंने लिखा, “यदि मैं इन मतों से पीछे हट जाता, तो मुझे कई लाभ और अवसर मिल सकते थे। यदि मैंने लिम्पियाधुरा सहित नेपाल का संशोधित नक्शा संयुक्त राष्ट्र को नहीं भेजा होता, या किसी और को मुझे निर्देश देने दिया होता, तो मेरी जिंदगी का रास्ता अलग होता। लेकिन मैंने राज्य को अपनी सारी ताकत दे दी। मेरे लिए पद और प्रतिष्ठा कभी मायने नहीं रखते।”

हिंसा और साजिश का आरोप

ओली ने प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा पर कहा कि वह नहीं मानते कि यह युवाओं द्वारा की गई है। उन्होंने लिखा, “आपके मासूम चेहरे दिखाकर, आपके भावनाओं के साथ गंदी राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। महत्वपूर्ण रिकॉर्ड ऑफिसों में आग लगाना, जेलों से कैदियों को छोड़ना, ये घटनाएं संयोग नहीं हैं। इनके पीछे गहरी साजिशें हैं।” उन्होंने कहा कि यह वही व्यवस्था है, जिसे उन्होंने अपने बलिदानों के माध्यम से हासिल किया, और अब उस पर हमला किया जा रहा है।

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‘मैं पिता नहीं बन पाया’

ओली ने अपने निजी जीवन के दर्द को भी साझा किया। उन्होंने लिखा कि शासन परिवर्तन के लिए हुए संघर्षों और अत्याचारों के कारण वह कभी पिता नहीं बन पाए। उन्होंने कहा, “जब मुझे पता चला कि पुलिस की गोलियों ने मेरे बेटों और बेटियों की जान ले ली, उसी दिन मेरी जिंदगी के कई हिस्से खत्म हो गए। उस दर्द के घाव आज भी ताजे हैं।” हालांकि, उन्होंने हमेशा शांति बनाए रखने की वकालत की। 1994 में गृह मंत्री रहते हुए, उनके कार्यकाल में एक भी गोली नहीं चली।

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