Navratri Special 2025: नवदुर्गा और आज़ादी की लड़ाई, नवरात्रि सिर्फ़ पूजा नहीं, प्रेरणा भी है

Navratri Special 2025: भारत के सबसे जीवंत पर्वों में से एक नवरात्रि, केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक गहरा संदेश भी है। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों के माध्यम से साहस, धैर्य, करुणा और आत्मबल का प्रतीक बनकर उभरता है। गुजरात की रातों में गरबा की थाप, बंगाल की गलियों में ढाक की गूंज और उत्तर भारत में रामलीला की झलक—नवरात्रि भारत की विविधता को एक सूत्र में पिरोती है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

माँ दुर्गा के नौ रूप: जीवन के नौ पाठ

हर दिन की देवी—शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक—हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और अपनाने की प्रेरणा देती हैं। उनके शस्त्र भी प्रतीकात्मक हैं:

  • त्रिशूल: संतुलन और नियंत्रण
  • तलवार: अन्याय का अंत
  • शंख: सकारात्मक ऊर्जा का संचार

क्रांतिकारियों के लिए बनी प्रेरणा

नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह पर्व क्रांतिकारियों के लिए आत्मबल और राष्ट्रभक्ति का स्रोत बना। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “जय माँ दुर्गा” और “जय हिंद” को एक साथ जोड़कर इसे राष्ट्रीय भावना से जोड़ा। नवरात्रि के उपवास केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मानसिक ऊर्जा का माध्यम हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण और आत्मबल को जागृत करने का होता है।

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हर इंसान के भीतर महिषासुर और दुर्गा

महिषासुर केवल एक पौराणिक राक्षस नहीं, बल्कि हमारे भीतर के लालच, क्रोध और नकारात्मकता का प्रतीक है। वहीं दुर्गा हमारे भीतर की शक्ति, साहस और करुणा है। नवरात्रि हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने भीतर की दुर्गा को जागृत कर महिषासुर पर विजय प्राप्त करें। नवरात्रि का पर्व हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति में परिवर्तन की शक्ति है। इस बार नवरात्रि को केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मजागरण और राष्ट्रप्रेम के रूप में मनाइए।

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