PM Housing Scheme Urban: अब 9 लाख तक की आय वाले भी ले सकते हैं सब्सिडी का लाभ
PM Housing Scheme Urban: अगर आप शहर में घर बनाने या खरीदने की योजना बना रहे हैं, लेकिन पैसों की तंगी से सपना अधूरा रह गया है, तो आपके लिए खुशखबरी है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) के तहत अब 9 लाख रुपये तक सालाना कमाई वाले परिवार भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके तहत होम लोन पर ब्याज सब्सिडी से लेकर घर बनाने के लिए सीधी आर्थिक मदद दी जा रही है।
पीएम आवास योजना शहरी क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को पीएम आवास योजना शहरी की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य शहरी गरीब, निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को अपना पक्का घर उपलब्ध कराना है। हाल ही में लॉन्च हुई PMAY-U 2.0 के तहत अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ परिवारों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है।
कितनी मदद मिलती है?
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घर बनाने के लिए सरकार 2.5 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद देती है।
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होम लोन पर ब्याज सब्सिडी के तहत 2.67 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है।
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3 लाख से 9 लाख रुपये सालाना आय वाले EWS, LIG और MIG श्रेणियों में पात्र माने जाते हैं।
योजना के चार मुख्य घटक
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लाभार्थी आधारित निर्माण (BLC)
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खुद की जमीन पर घर बनाने पर 2.5 लाख रुपये तक की मदद
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निर्माण कार्य 12 से 18 महीने में पूरा करना होता है
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साझेदारी में किफायती आवास (AHP)
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बिल्डर्स के साथ साझेदारी में किफायती घर
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EWS के लिए आरक्षित 25% फ्लैट
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किफायती किराया आवास (ARH)
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प्रवासी मजदूरों और बेघरों के लिए सस्ते किराए पर घर
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ब्याज सब्सिडी योजना (ISS)
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3 से 12 लाख रुपये सालाना आय वालों को लोन पर ब्याज सब्सिडी
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अधिकतम 25 लाख रुपये तक के लोन पर लाभ
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आवेदन प्रक्रिया
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PMAY-U की वेबसाइट पर जाएं
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“Apply for PMAY-U 2.0” पर क्लिक करें
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राज्य, योजना घटक और आय की जानकारी भरें
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शपथ पत्र भरकर OTP के जरिए सत्यापन करें
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फॉर्म में व्यक्तिगत, पारिवारिक और आवास संबंधी जानकारी दें
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जरूरी दस्तावेज अपलोड कर फॉर्म सबमिट करें
कौन कर सकता है आवेदन?
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जिनके पास शहर में खुद का पक्का मकान नहीं है
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पिछले 20 वर्षों में किसी आवास योजना का लाभ नहीं लिया हो
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EWS (3 लाख तक), LIG (6 लाख तक), HIG (9 लाख तक) आय वर्ग
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किन्हें दी जाती है प्राथमिकता?
इस योजना में विधवाओं, दिव्यांगों, ट्रांसजेंडर, वरिष्ठ नागरिकों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/जनजाति, स्ट्रीट वेंडर्स, कारीगरों और समाज के कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है।