Sonbhadra News: मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायतों में झूठी आख्या, शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
Sonbhadra News:नगवां विकास खंड में आधा दर्जन से अधिक अवैध विद्यालयों का संचालन शिक्षा विभाग की नाक के नीचे बेखौफ जारी है। अखबारों में लगातार खबरें प्रकाशित होने और खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा नोटिस जारी कर बीएसए को कार्यवाही के लिए प्रेषित किए जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सूत्रों के मुताबिक, कार्रवाई की आहट के बाद अवैध विद्यालय संचालकों ने राजनीतिक दबाव बनाना शुरू कर दिया और चतुराई से “जुगाड़” बैठा लिया। खलियारी स्थित स्वामी विवेकानंद स्कूल (मान्यता कक्षा 5 तक) ने कैमूर मंजरी हाईस्कूल का बोर्ड लगाकर इंटर तक की कक्षाएं शुरू कर दीं। वहीं, कैमूर मंजरी हाईस्कूल के प्रबंधक ने जर्जर भवन दिखाकर अपनी कक्षाएं विवेकानंद स्कूल में शिफ्ट कर दीं और पुराने भवन में बिना मान्यता आवासीय विद्यालय खोल दिया। इससे स्पष्ट है कि नगवां में मान्यताओं की खरीद-फरोख्त हो रही है और शिक्षा की गुणवत्ता रसातल में जा रही है।
फर्जी आख्या का आरोप
तेनूआ गांव निवासी बृजेश कुमार ने इन अवैध विद्यालयों की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की थी। जिलाधिकारी ने जांच की जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपी। लेकिन उन्होंने खुद जांच न कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य को जिम्मेदारी थमा दी। आरोप है कि जांच अधिकारी अवैध विद्यालयों में जाने के बजाय किसान निर्मल इंटर कॉलेज के संचालक को धमकाते रहे और अंत में यह फर्जी रिपोर्ट लगा दी कि नगवां ब्लॉक के सभी अवैध विद्यालय बंद करा दिए गए हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि न तो उनसे संपर्क किया गया और न ही वास्तविक जांच हुई।
पत्रकार पर दबाव
जब इस पूरे प्रकरण पर खलियारी के पत्रकार विजय शंकर ने जिला विद्यालय निरीक्षक से फोन पर बात की तो निरीक्षक ने मामले को टालने की कोशिश की और उल्टे पत्रकार की ही जांच कराने की धमकी दे डाली। इस पर पत्रकारों और संगठनों में रोष फैल गया है। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने 16 सितंबर को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने की घोषणा की है।
प्रश्नों के घेरे में शिक्षा विभाग
मामला यह है कि क्या शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति को ठेंगा दिखा रहा है? क्या यह नीति केवल कागजों तक सीमित है? नगवां जैसे पिछड़े ब्लॉक में गरीब छात्रों का आर्थिक शोषण खुलेआम हो रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि अवैध विद्यालयों के संचालन में किसी बड़े सफेदपोश नेता का संरक्षण है।
न्याय की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध विद्यालयों के इस खेल में छात्रों का भविष्य दांव पर है। जिलाधिकारी सोनभद्र से मांग की गई है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों सहित विद्यालय संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
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