UP News-ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु सत्या फाउण्डेशन और बनारस बार एसोसिएशन ने की पुलिस आयुक्त से मुलाकात
UP News-ध्वनि प्रदूषण के के नुकसानों और कानूनी रोकथाम के प्रति जागरूकता के कार्य में वर्ष 2008 से लगी संस्था सत्या फाउण्डेशन को उस समय बड़ी सफलता मिली। जब शुक्रवार को वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने सभी थानों और चौकियों पर ध्वनि प्रदूषण नियमावली बोर्ड लगाने का लिखित फरमान जारी कर दिया।
इससे पहले सत्या फाउण्डेशन के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय और बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट सतीश कुमार तिवारी की पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल आई.पी.एस. के साथ इस मुद्दे पर गहन वार्ता हुई। सत्या फाउण्डेशन के सचिव चेतन उपाध्याय ने ध्वनि प्रदूषण के नियमों के प्रति पुलिसकर्मियों और आम जनता में जागरूकता को बढ़ाने के लिए वाराणसी के सभी पुलिस थानों और चौकियों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाने का सुझाव दिया और साथ ही इस प्रस्तावित बोर्ड की भाषा भी लिखित रूप में पेश की जिसे पुलिस आयुक्त महोदय ने ध्यानपूर्वक पढ़ा और प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए लिखित आदेश जारी कर दिया कि पुलिस विभाग द्वारा अपने खर्च पर ऐसे डिस्प्ले बोर्डों को सभी थानों /चौकियों पर लगाया जायेगा।
कोई तो है जो ध्वनि प्रदूषण पर लगातार कार्य कर रहा है:-
मीटिंग के दौरान पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने सत्या फाउण्डेशन की तारीफ करते हुए कहा कि कोई तो है जो ध्वनि प्रदूषण जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर लगातार कार्य कर रहा है।
मोहित अग्रवाल ने यह भी कहा कि अगर कोई ऐसा मामला हो जहाँ पर बार-बार समझाने के बाद भी कोई कानून तोड़ रहा हो तो उसे सीधे मेरे संज्ञान में लायें। सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के सभी थानों और चौकियों पर लगाए जाने वाले डिस्प्ले बोर्ड की भाषा पूजा-इबादत, शादी-विवाह, उत्सव-जलसे या उद्योग-व्यापार के नाम पर शोर मचाना धर्मशास्त्र, चिकित्सा शास्त्र और कानून के ख़िलाफ है।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच साउंड प्रूफ ऑडिटोरियम/हॉल के अलावा किसी भी खुली जगह में ध्वनि प्रदूषण जैसे- लाउडस्पीकर, डी.जे., आतिशबाजी, बैंड-बाजा, पावरलूम, स्कूटर-कार-बस आदि का हार्न और यहाँ तक कि बिना लाउडस्पीकर वाला कंठ/वाद्य संगीत भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इस दौरान मशीन/बाजा पूरी तरह स्विच ऑफ होना चाहिए।
प्रातः 6:00 बजे से रात 10:00 बजे के बीच: ध्वनि के स्रोत से 1 मीटर की दूरी पर अधिकतम 70 से 75 डेसीबल से अधिक का शोर गैरकानूनी है. कृपया गूगल प्ले स्टोर से साउंड लेवल मीटर को डाउनलोड करें।
रात की समय सीमा या दिन की डेसीबल सीमा का उल्लंघन करने वाले दोषी को आई.पी.सी. की धारा 290 व 291 के अलावा पर्यावरण संरक्षण एक्ट-1986 के तहत ₹ 1 लाख तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है. शिकायत दर्ज कराने के लिए डायल 112 अथवा निकटतम थानाध्यक्ष से संपर्क करें।
घर बैठे मुकदमा दर्ज करने के लिए कृपया गूगल प्ले स्टोर से यूपीकॉप को डाउनलोड करें।
चन्दौली से सत्येन्द्र कुमार मिश्रा की रिपोर्ट