Uttarakhand: वक्फ बोर्ड के नाम पर भड़काने से बाज आएं मुस्लिम नेता- डॉ. शालिनी अली
Uttarakhand: वक्फ संशोधन वर्तमान समय में एक ज्वलंत और चर्चा का विषय बन गया है। यह कानून उन लोगों के हितों पर चोट करता है जो वर्षों से वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे थे। इसी के चलते समाज में इस विषय पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, और कई सामाजिक संगठन इस दिशा में सक्रिय हो चुके हैं।
इसी क्रम में वक्फ सुधार जनजागरण अभियान की प्रमुख, प्रसिद्ध समाजसेवी और इस्लामिक विद्वान डॉ. शालिनी अली ने गुरुवार को हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता की। उनके साथ नदीम जैदी भी उपस्थित रहे।
डॉ. शालिनी अली ने वक्फ संशोधन विधेयक और मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे लोग मुस्लिम समाज को जागरूक करने के बजाय गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ क्षेत्रों में “बत्ती गुल” अभियान चलाया गया, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध स्वरूप कुछ देर के लिए अपने घरों की लाइटें बुझा दीं। उन्होंने कहा कि ऐसे दिखावों का कोई असर नहीं पड़ेगा, देश एक था, एक है और एक रहेगा।
डॉ. अली ने कहा कि वक्फ संपत्तियां अल्लाह के नाम पर दी गई अमानत हैं, जिनका उद्देश्य शिक्षा, सामाजिक जागरूकता, विधवाओं और गरीबों की मदद करना था। लेकिन वास्तविकता यह है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का दुरुपयोग होता रहा है और इसका लाभ वक्फ माफियाओं ने उठाया। पिछली सरकारों ने इन माफियाओं को ही मजबूत किया, जबकि वर्तमान सरकार वंचितों, महिलाओं और समाज के अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाने के लिए कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि आज वक्फ बोर्ड देश में रेलवे और सेना के बाद तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति का मालिक है, लेकिन यह संपत्ति गरीबों के हित में उपयोग नहीं हो रही है। अब जब सरकार इसमें पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रही है, तो कुछ लोग, जिन्होंने इसे कमाई का साधन बना रखा था, विरोध पर उतर आए हैं।
Uttarakhand: also read- Primary teacher recruitment scam: राज्यपाल ने पार्थ चटर्जी के खिलाफ ईडी को दी अभियोजन की स्वीकृति
अंत में डॉ. अली ने मुस्लिम नेताओं से अपील की कि वे वक्फ के नाम पर लोगों को भड़काना बंद करें और सच्चाई को स्वीकार करें। देश और समाज की भलाई पारदर्शिता और ईमानदारी में ही है।