शराब शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर बर्बाद और खोखला करती है : फारूखी

गाजियाबाद।संवाददाता।

शराब, स्वास्थ शरीर परिवार समाज और देश के हर व्यक्ति को जो इसका सेवन करता है उसे शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर बर्बाद और खोखला कर रही है, लेकिन फिर भी सरकार शराब बिक्री को बढावा दे रही है, आखिर ऐसा क्यों, केवल शराब कारोबारियों के लाभ और अपना खजाना भरने के लिए?
जनसेवक निगार फारूखी कहती हैं कि बहुसंख्यक देश की आबादी को शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधाओं, मानवीय विकास की संविधानिक सुरक्षा छीनकर, उन्हें शराब का नशा जो जहर है और जो व्यक्ति परिवार समाज और देश को शारीरिक मानसिक और आर्थिक रुप से कमज़ोर तबाह और बर्बाद कर रही है उसके बावजूद शराब बिक्री को राजस्व वसूली खजाना भरने, अपने विरूद्ध असंतोष की लोकतान्त्रिक आवाज को खत्म करने और मुनाफा करोबार के लिए अनुमति देना जनहित के विरूद्ध, जनस्वस्थ के लिए हानिकारक और देश की मानव संसाधन शक्ति, मानवीय संविधानिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है, उसके बावजूद शराब बिक्री की अनुमति संविधान विरोधी है मानवता विरोधी है संविधान की मूल भावना की विरोधी है, जनसेवक निगार फारूखी ने कहा कि मैंने अपनी आंखों से तमाम, घरों को बर्बाद होते देखा है, और यह सब अपनी आंखो से देखकर इस पर खूब अध्ययन भी किया है, एक या दो घर को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी के घरों में एक नशेड़ी अवश्य मिलेगा, घर को बर्बाद करने वाला अवश्य मिलेगा, और एक दिन ऐसा भी आता है, जब बहुत ज्यादा मात्रा में दारू शराब पीने से उसकी मौत भी हो जाती है, उसका शरीर अंदर से खोखला हो जाता है, लीवर खत्म हो जाता है, मैने अपने जीवन में नौजवान को भी दारू के नशे से मरते देखा है, और रोजाना बहुत ज्यादा मात्रा में पीने वाला व्यक्ति भी 45 से 50 की उम्र पूरी नहीं कर पाता है, उसके इस नशे के कारण उसका पूरा घर बर्बाद हो जाता है, जितनी उसको तरक्की करनी चाहिए थी, वह उतनी नहीं कर पाता है, उसकी जमीन जायदाद सब बिक जाते हैं, बच्चे पढ़ने-लिखने से वंचित रह जाते हैं, माताएं बहनें मजदूरी या झाड़ू पोछा लगाकर अपने बच्चों का जीवन यापन बसर करती हैं, और जहां तक मैं समझती हूं, दारू एक गर्म पेय पदार्थ है जो कि ज्यादातर सर्दियों में दवाई के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, लेकिन देखा जाता है, हमारे देश में फुल गर्मियों में भी इसका खूब सेवन किया जाता है, जिनकी आमदनी कम होती है, या जो गरीब होते हैं, वे भी इसका सेवन ज्यादा से ज्यादा करते है, वैसे बता दें, अतीत में यह राजा महाराजाओं का शौक हुआ करता था, लेकिन आज तो गरीब अमीर सब इसका सेवन करते देखे जा सकते हैं, इसके लिए जगह-जगह बड़े-बड़े शोरूम के रूप में दारू के ठेके खोल दिए गए हैं, ताकि सरकार की खूब आमदनी हो, और वे उनसे रोजगार आदि की उम्मीद न करें, बता दें जनसेवक ने साफगोई के साथ कहा कि इसका सेवन गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा विनाशकारी होता है, जबकि अमीर जैसे-तैसे इसको मैनेज करने में सफल हो जाते हैं, इसका सेवन अमीर गरीब सभी लोग करते हैं, लेकिन अमीर इतना बहकते नहीं हैं, वे अपना मानसिक संतुलन नहीं खोते हैं जैसा अक्सर देखा गया है, जितना गरीब लोग थोड़ी सी शराब पीने पर ही बहक जाते हैं और अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं, लड़खड़ाने लगते हैं, गाली गलौच व लड़ाई-झगड़ा करने लग जाते हैं, और यहां तक नौबत आ जाती है, वे अपना घर जमीन जायदाद सब बेच मारते हैं, अपना शरीर खराब कर लेते हैं, और एक दिन उसकी मौत भी हो जाती है, उससे उसके बच्चों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है, उन्होंने कहा कि कई जगहों को हमने ऐसा भी देखा जहां की महिलाएं विधवा हो चुकी थीं, बच्चे भी दारू पी-पीकर बर्बाद होने की कगार पर बैठे थे, इसके साथ ही यह भी खूब देखा जाता है, जो समाज के जिम्मेदार व्यक्ति होते हैं, जिनका समाज में नाम होता है, वे भी अपने घर में या किसी पार्टी में बच्चों के सामने खूब दारू पीते हैं, दारू को मान सम्मान व आदर सत्कार के रूप में मानते हैं, वे यह भी नही सोच पाते कि इससे तो हमारी आने वाली पीढ़ियों पर कितना बुरा असर पड़ेगा, और इस प्रकार वे अपनी पीढ़ी को भी बर्बाद कर बैठते हैं, फिर उनके बच्चे भी दारू के नशे में डूब जाते हैं, ज्यादातर गरीब दलित व ओबीसी समाज के लोग इसके कारण ज्यादा बर्बाद होते देखे जा सकते हैं,
रोजाना अधिक मात्रा में दारू पीने वाला एक गरीब व मध्यम वर्गीय व्यक्ति यदि एक दिन अपने इस खर्च का आकलन करे तो उसको इस बात का एहसास हो जाएगा, वह जरूर अपना माथा पकड़ लेगा, कि मैंने अपने जीवन में अब तक कितनी दारू पी है कितनी बर्बादी की है, अपने बच्चों का कितना भविष्य बर्बाद किया है, यदि वह इसका सेवन नहीं करता, तो आज वह कितनी जमीन जायदाद, मकान और दुकान का मालिक होता, अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलवा पाता, जनसेवक कहती हैं कि साथियों अपने आपको और अपने बच्चों को इस अजगर से बचाओ, इस कोबरा जैसे विषैले सांप से बचाओ जो दारू पीने के कारण हमारे बहुजन समाज को डसता जा रहा है, बर्बाद करता जा रहा है, यदि आप इसका शौक रखते हैं तो कम से कम अपने बच्चों के साथ या उनके सामने इसका सेवन तो बिलकुल न करें, या इसका सेवन न ही करें तो आपके परिवार और बच्चों के लिए बहुत ही अच्छा रहेगा, क्योंकि मैंने कितने ही परिवार इसके कारण उजड़ते देखे हैं, बर्बाद होते देखे हैं इसलिए जहां तक हो सके आप सब अपने ऊपर स्वयं ही कंट्रोल करें तब ही बेढ़ापार हो सकता है।

Related Articles

Back to top button