बाबा साहब का पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित था – एडीएम 

अपर जिलाधिकारी  अविनाश त्रिपाठी ने कलेक्ट्रेट सभागार में भारतीय संविधान के रचयिता और समाज सुधारक बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर चित्र का माल्यार्पण करते हुए पुष्प अर्पित किए।

     उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के रचयिता और समाज सुधारक डॉ. भीम राव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है। राष्ट्र आज की पुण्यतिथि मना रहा है। बाबा साहब का पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित था। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित वर्ग को समाज में समानता दिलाने के लिए संघर्ष में लगा दिया। उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनका स्पष्ट कहना था कि शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का सपना था कि समता मूलक समाज की स्थापना किये बिना राष्ट्र के विकास की कल्पना के बारें में सोच ही नहीं सकते है। हमें बाबा साहब के मार्ग दर्शन पर चलना चाहिए। को जानने के लिए उनके विचारों को पढ़ने की जरूरत है। बाबा साहब सिर्फ एक नाम ही नहीं एक विचार है। जिन्होंने समाज को हमेशा राह दिखाया है। हमलोगो को उसके बताये रास्ते पर चलना है तभी हम भारत का निर्माण कर सकते है। उन्होंने कहा कि हमे अपने मौलिक अधिकारों/कर्तव्यों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए, यह संविधान की देन है कि हम सब लोग स्वतंत्र होकर कार्य कर रहे है। हम सबको जो दायित्व मिले है उनका निर्वाहन पूरी जिम्मेदारी से करे। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के रचयिता और समाज सुधारक डॉ. भीम राव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है।https://eksandesh.org/news_id/34679 राष्ट्र आज की पुण्यतिथि मना रहा है। बाबा साहब का पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित था। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित वर्ग को समाज में समानता दिलाने के लिए संघर्ष में लगा दिया। उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनका स्पष्ट कहना था कि शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का सपना था कि समता मूलक समाज की स्थापना किये बिना राष्ट्र के विकास की कल्पना के बारें में सोच ही नहीं सकते है। हमें बाबा साहब के मार्ग दर्शन पर चलना चाहिए। बाबा साहब को जानने के लिए उनके विचारों को पढ़ने की जरूरत है। बाबा साहब सिर्फ एक नाम ही नहीं एक विचार है। जिन्होंने समाज को हमेशा राह दिखाया है। हमलोगो को उसके बताये रास्ते पर चलना है तभी हम भारत का निर्माण कर सकते है। उन्होंने कहा कि हमे अपने मौलिक अधिकारों/कर्तव्यों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए, यह संविधान की देन है कि हम सब लोग स्वतंत्र होकर कार्य कर रहे है। हम सबको जो दायित्व मिले है उनका निर्वाहन पूरी जिम्मेदारी से करे। 

  वरिष्ठ कोषाधिकारी, बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी, अपर उप जिलाधिकारी ने के जीवन पर विस्तार से अपने विचार रखे। 

    इस अवसर पर कलेक्ट्रेट के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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