Citizenship proof mandatory: नेपाल की 1.50 लाख बेटियों को शादी के बाद मिली भारत की नागरिकता, लेकिन वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने की राह मुश्किल
Citizenship proof mandatory: भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक और सामाजिक संबंधों में “बेटी-रोटी” की परंपरा सदियों से रही है। बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के सीमावर्ती प्रखंडों — जैसे सिकटा, मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर और बगहा — के गांवों में नेपाल से आई लाखों बेटियों ने शादी के बाद भारत को अपना घर बना लिया है।
करीब 1.56 लाख नेपाली बेटियों ने भारत के नागरिकों से विवाह कर भारतीय जीवनशैली को अपनाया है। इनमें से अधिकांश के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और यहां तक कि मतदाता पहचान पत्र भी है।
नए नियमों से बढ़ी परेशानी: अब जरूरी होगा नागरिकता प्रमाण
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण अभियान में अब यह अनिवार्य किया गया है कि सूची में नाम बनाए रखने के लिए भारतीय नागरिकता का प्रमाण देना होगा। इससे नेपाल से आई हजारों महिलाओं में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
क्या कहता है नागरिकता अधिनियम?
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार:
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कोई भी विदेशी महिला यदि किसी भारतीय नागरिक से वैध विवाह करती है और
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सात वर्षों तक भारत में लगातार निवास करती है,
तो वह भारत की नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय को आवेदन कर सकती है।
इसके लिए जरूरी दस्तावेज:
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विवाह निबंधन प्रमाण पत्र
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सात वर्षों के लगातार निवास का प्रमाण
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ऑनलाइन आवेदन (फॉर्म-7)
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स्थानीय SDO और DM स्तर पर सत्यापन
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गृह मंत्रालय की अंतिम मंजूरी
चुनौती यह है कि सीमावर्ती इलाकों की अधिकतर महिलाओं के पास न तो विवाह का पंजीयन है और न ही सभी आवश्यक दस्तावेज।
2003 की मतदाता सूची बनी सहारा
भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम दर्ज है, उन्हें नागरिकता प्रमाण देने की जरूरत नहीं है।
लेकिन 2003 के बाद जिनका नाम सूची में जुड़ा, उन्हें:
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नागरिकता प्रमाण पत्र या
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शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जमीन से संबंधित कागजात सहित 11 वैकल्पिक दस्तावेज देने होंगे।
वोटर लिस्ट से नाम कटा तो अधिकार भी खत्म
स्थानीय सरपंचों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि यह व्यवस्था लागू रही, तो:
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हजारों महिलाओं के नाम मतदाता सूची से कट सकते हैं
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जिससे उनका मतदान, सरकारी योजनाओं में भागीदारी और अन्य संवैधानिक अधिकारों पर असर पड़ेगा
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अब लोग नेपाल से बहू लाने में संकोच करने लगे हैं
केस स्टडी – ज़मीनी सच्चाई
केस 1: मनीषा कुमारी, मुरली गांव
नेपाल के भेडिहारी से ब्याह कर आई मनीषा को 7 साल हो गए, दो बच्चों की मां हैं।
“पिछले चुनाव में वोट दिया, अब नागरिकता प्रमाण मांग रहे हैं। सात साल बाद विवाह प्रमाण पत्र कहां से लाऊं?”
केस 2: अनिता देवी, परसौनी गांव
नेपाल के पर्सा जिले से आई अनिता देवी को 14 साल हो गए।
“राशन कार्ड, उज्जवला योजना और आयुष्मान कार्ड मिला, अब मतदाता सूची से नाम कटने का डर है।”
केस 3: दीक्षा वर्णवाल, 2011 में शादी
“नागरिकता लेने की जानकारी ही नहीं थी। वोटर लिस्ट में नाम है, वोट भी दिया।”
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केस 4: अरुण साह और उनकी पत्नी
नेपाल के अरुण साह भारत में बस चुके हैं, जमीन खरीदी, घर बनाया, पत्नी का नाम वोटर लिस्ट में है।
“नेपाल की नागरिकता छोड़ी, अब भारत में प्रमाण मांग रहे हैं। तो फिर मैं हूं कहां का नागरिक?”