तेलंगाना व‍िधानसभा के चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के चक्रव्यूह में फंफे केसीआर !

तेलंगाना व‍िधानसभा के लिए चुनाव के प्रचार आखिरी घंटे दौर में है।  30 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए सत्ताधारी बीआरएस , कांग्रेस और भाजपा  ने एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक तेज कर दिया है।  कोशिश तो शुरू से ही मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की रही है, लेकिन दोनों  ही राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर होने के बावजूद मुख्यमंत्री के।  चंद्रशेखर राव का पूरा परिवार कांग्रेस और भाजपा  से डट कर  मुकाबला कर रहा है – नेताओं के भाषण सुन कर तो ऐसा ही लगता है।   

भाजपा और कांग्रेस के आलावा केसीआर की एक लड़ाई चुनाव आयोग से  भी लड़ी जा रही है, एक दूसरे की शिकायतें करके।  ऐसी ही शिकायत के कारण चुनाव आयोग से केसीआर को बड़ा झटका लगा है।  चुनाव आयोग ने केसीआर सरकार की रायतु बंधु योजना के तहत किसानों की दी जाने वाली नकद राशि पर रोक लगा  दी है।  चुनाव आयोग ने कुछ शर्तों के साथ रबी की फसल की किस्त के लिए बीआरएस सरकार को अनुमति दी थी।  चुनाव आयोग की तरफ से साफ हिदायत थी कि योजना के महिमामंडन का काम चुनाव के दौरान नहीं होना चाहिये, लेकिन सुनता कौन है।  रिपोर्ट बताती है कि राज्य के मंत्री अपने भाषण में इसका ऐलान कर रहे थे – और चुनाव आयोग ने सरकार को दी गयी अनुमति वापस रद्द कर दी।   

दरअसल रायथु बंधु योजना किसानों को वित्तीय मदद देने से जुड़ी हुई है। रायथु का मतलब तेलुगु में किसान होता है। तो देखा जाए तो केसीआर सरकार की सीधे सीधे किसानों को मदद देने के लिए एक योजना है। इसमें सरकार प्रति एकड़ साल में दो बार ₹5000 की किस्त रबी और खरीफ की फसलों के लिए हर किसान को देती है। तो अभी इस बार ये किस्त दी जानी थी। चुनाव की वजह से एक आरोप ये लग रहा है कि सरकार ने इस योजना के पैसों को देने में थोड़ा सा देर किया। उन्होंने कहा चुनाव के आसपास देंगे। लेकिन बीच में चुंकि डेढ़ दो महीने की एक आचार संहिता लग जाती है। तो पिछले दिनों उनके जो वित्त मंत्री थे टी हरीश राव, उन्होंने ऐलान किया कि 24 तारीख को हम किसानों को जो इस बार की जो किस्त है वो जारी करेंगे। इसके लिए उन्होंने बकायदा चुनाव आयोग से आज्ञा भी ली थी। चुनाव आयोग ने उनको परमिशन दे दी थी । लेकिन इसी बीच में जो विपक्षी दल थे कांग्रेस वगैरह, वो लोग आचार संहिता का हवाला देते हुए चुनाव आयोग चले गए। उन्होंने कहा कि ये तो सरासर आचार संहिता का उल्लंघन है क्योंकि वोटिंग चल रही है। आचार संहिता लगी हुई है और उसमें कोई भी पार्टी भले ही वो सरकार में हो, वो ऐसे जनहित के कार्यों में पैसे कैसे बांट सकती है। ये तो सीधे-सीधे मतदाता को प्रभावित करने वाला काम हुआ। तो उनकी अपील पर चुनाव आयोग को यह कदम उठाना पड़ा और जो पैसा जारी होना था उस पर रोक लगा दी।
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गौरतलब है कि मई 2018 से केसीआर सरकार जो है वो साल में दो बार किसानों को पैसा बांट रही है। अब तक इससे 58 लाख किसानों को साल में दो बार पैसा मिलता है और इस बार बीआरएस का जो मैनिफेस्टो है, उसमें उसने ऐलान किया है कि अभी ये जो हर साल 10,000 की राशि दी जाती है। उसको बढ़ाके हम 16,000 कर देंगे। अब लगता है कि कांग्रेस  इसे बीआरएस के लिए एक झटका मान रही  हैं तो उनके लिए झटका नहीं माना  जा सकता है  क्योंकि उनको भी इस चीज की आशंका थी। वो पहले से तैयार थे क्योंकि वो लगातार लोगों के बीच में ये प्रचारित कर रहे  थे कि देखिये अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो वो ये रायथु बंधु योजना को बंद कर देगी। केसीआर ने तो यहां तक कहा कि अगर कांग्रेस सरकार में आती है तो वो उसको बंगाल की खाड़ी में फेंक देगी। तो अब जो बीआरएस है, उसकी योजना ये है कि चुनाव से ठीक 3 दिन पहले अगर इस पर रोक लगती है तो वो उसको अपने पक्ष में भुनाएगी। वो कहेगी देखिए कांग्रेस वगैरह चुनाव आयोग के पास गए और जो पैसा आप को मिलना चाहिए था, इस पैसे को देने में अड़ंगा लगाया। तो वो इसको अपने पक्ष में इस तरह से प्रचारित करेगी। कांग्रेस वैसे ही लगातार कह रही है कि ये जो हो रहा है वो आचार संहिता का सरासर उल्लंघन है।

 यहां एक बात जानना जरुरी है  कि केसीआर का जो पूरा चुनावी प्रचार है तो वो अपनी जनहित की योजनाओं को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं। तेलंगाना के लोग  मान रहे हैं कि केसीआर ने काम किया है। गजवेल, कामारेड्डी, सिरसिल्ला वगैरह तमाम ऐसे इलाके हैं, जहां पे लोग कहते हैं कि आज से 9 से 10 साल पहले इस इलाके की शक्ल ऐसी नहीं थी जो शक्ल आज आपको दिखाई दे रही है। लेकिन एक बात और नहीं भूलनी चाहिए कि जो एक बहुत बड़ा तबका है वो तबका अब बदलाव भी चाहता है। अगर  मुद्दों की बात करें। तो जैसे इनकी शादी मुबारक योजना है या गृहलक्ष्मी योजना है। इसमें शादी होती है, तो लड़की को सरकार की तरफ से 1लाख रूपया मिलता है। इसी तरह डिलिवरी के लिए पैसा दिया जाता है। किसानों को पैसा दिया जाता है। ये लोग दलित बंधु योजना लेकर आए, जिसमें दलितों को ₹10 लाख की राशि दी जाती है और वो कोई लोन नहीं होता है। वो सरकार की तरफ से ग्रांट दी जाती है। अगर कोई भी अपना काम शुरू करना चाहते हैं, कुछ भी करना चाहते हैं तो वे उसका इस्तेमाल कर लेते हैं। तो बेसिकली वो दलित समुदाय के उत्थान लिए थी। इसमें ऐसा नहीं है कि आप सिर्फ कारोबार करिए। अगर आपको लगता है कि आपको घर बनाना है तो आप उस दस लाख रुपए से घर बना सकते हैं। आपको लगता है गाडी खरीदनी है तो आप गाड़ी खरीद लीजिए और सरकार आपसे कोई हिसाब नहीं मांगेगी। ऐसे ये माइनॉरिटी के लिए भी लेके आये। इसी तरह से वो टू बीएचके घर लेके आए। जिनके पास घर नहीं है, वे कहते है कि उनको टू बीएचके घर देंगे। लेकिन हो ये रहा है कि इस चुनाव में यही सारी योजनाएं आज उनके लिए एक गले में फांस बनती दिखाई दे रही है क्योंकि जो वोटर है वो कह रहा है कि आपने बड़े – बड़े दावे किए, बड़ी बातें की हैं, लेकिन आज टू बीएचके हम लोगो को मिला नहीं? मुट्ठी भर लोगों को मिला। या दलित बंधु योजना जो है। आपने एक चुनाव क्षेत्र में 500 बेनिफिशरी की लिस्ट तैयार की, लेकिन उसमें से एक या दो लोगों को मिला। तो जो बाकी बचे हुए लोग थे, जिनकी लिस्ट तैयार हुई, वो लोग बहुत नाराज और निराश हैं।

वैसे देखा जाय तो राज्य के गठन के बाद से ही लगातार सत्ता में बरकरार केसीआर अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए इस बार पूरा जोर लगाते दिख रहे हैं क्योंकि उन्हें भाजपा  और कांग्रेस दोनों से बराबर की टक्कर मिल रही है और ऐंटी इनकम्बेंसी का फैक्टर भी होगा। इस बात  कोई दो राय नहीं है कि तेलंगाना में भाजपा  मोदी के भरोसे बहुत आगे तक जा रही है। अगर अल्पसंख्यकों की बात करें तो मुस्लिम तबके को 4% आरक्षण देने की जो बात है, उस पर भाजपा  कहती है कि अगर हम सरकार में आयेंगे तो 4% आरक्षण की जो बात है, उसको हम विड्रॉ कर लेंगे। कहीं ना कहीं भाजपा  यहां पर एक साफ मैसेज दे रही है कि जो मेजॉरिटी वोट बैंक है, हमें उसी की जरूरत है। माइनॉरिटी की हमें इतनी जरूरत नहीं है। वो बहुत ज्यादा उस पर आधारित नहीं है। जहां तक आपने माइनॉरिटी की बात की तो यहां पर आज बीआरएस में जाता है ये वोटबैंक। इसलिए भाजपा उस पर ध्यान नहीं दे रही है ।  वैसे भी उसने मुस्लिम वोट पर ओवैसी पूरा जोर लगा रहे है इससे ओवैसी और कांग्रेस में मुस्लिम वोटों का बंटवारा तय है ।   

बात करे कांग्रेस कि तो उसकी जो  गैरन्टी है, वो लोगों को अपील कर रही है। पहले से ही राज्य की जो जनता है, जो एक बड़ा तबका है वो फ्री बीज का आदि हो चुका है। तो ऐसे में अभी हाल ही में जो कर्नाटक में इन्होंने अपनी गैरैन्टी दी और कांग्रेस का दावा है कि उसने अपनी छह गैरन्टी इसमें से चार गैरन्टी को लागू भी कर दिया है। तो कहीं ना कहीं ये दक्षिण का राज्य है कर्नाटक और जैसा कि आपने खुद कहा कि मंत्री लोग आ रहे हैं। बल्कि जनता का भी आना जाना है इलाकों में, लोग एक दूसरे राज्य से आते हैं। खबरें आती हैं। तो ये बात आ रही है कि कांग्रेस ने जो वादे किए थे उसको जमीन पर उतारना भी शुरू कर दिया। उसके लिए काम कर रही है। तो कहीं ना कहीं ये चीज भी लोगों को अपील कर रही है। एक और कांग्रेस की संभावना के पीछे वजह ये है कि अगर  देखा जाय  तो कुछ इलाके हैं प्रदेश के, जैसे करीम नगर, महबूब नगर, आदिलाबाद,ये सब जो इलाके थे, ये सब कभी टीडीपी प्रभाव वाले थे और इस बार टीडीपी कहीं मुकाबले में नहीं है। टीडीपी ने कांग्रेस का समर्थन किया है। तो माना जा रहा है जो टीडीपी का वोट बैंक है वो कांग्रेस को मिलेगा। इसी तरह से कुछ पॉकेट्स में लेफ्ट है। लेफ्ट ने सिर्फ एक ही जगह पर कांग्रेस के साथ तालमेल करके अपना एक उम्मीदवार उतारा है। फिर वाईएसआरटीपी की जो शर्मिला हैं, उनका तेलंगाना का जो अपना चैपटर है, उन्होंने भी कांग्रेस के समर्थन के लिए बात की है। तो  लग रहा है कि अगर भाजपा  और बीआरएस को छोड़ा जाए तो जितना वोट बैंक है वो सब दल कांग्रेस की तरफ आने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए  कांग्रेस को अपने  लिए बेहतर चान्सेस दिख रहे हैं।

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