जबलपुर के जवाहरलाल नेहरु कृषि विवि में पढ़ाई का तरीका बदला
जबलपुर । जबलपुर के जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय ने एक अनूठी पहल की है। यहां छात्रों को बंद कमरों की बजाय खेतों में क्लास लगाकर पढ़ाई करवाई जाती है। यहां के पेड़ों पर वाईफाई लगाए हैं और पढ़ाई हाईटेक है। इस नवाचार के लिए विवि की काफी तारीफ हो रही है। खेतों में पढ़ाई का उद्देश्य छात्रों को कितबों से ज्यादा प्रैक्टिकल ज्ञान देना हे। कृषि विवि के छात्र खेतों में एक-दो घंटे नहीं बल्कि दस से 12 घंटे रहते हैं। एंटोमोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. मोनि थॉमस इन छात्रों को खेत में ले जा कर पढ़ाई के लिए किसी तरह की नेटवर्क की दिक्कत न हो। इससे जब प्रोफेसर वहां मौजूद नहीं होते तो वह छात्रों से ऑनलाइन संपर्क भी कर सकते हैं। खेतों में क्लास पर डॉ. थॉमस ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना छात्रों को ईको क्लास से जोड़ा जाए, जिससे वह ज्यादा समय तक पौधों के बीच रहेंगे और चीजों को प्रैक्टिकली सीख सकेंगे। जब छात्र खेतों में होते हैं तो विभाग का पूरा स्टाफ उनके साथ रहता है और फसल से जुड़ी बातें उन्हें समझाते हैं। डॉ. थॉमस के अलावा रिसर्च एसोसिएट डॉक्टर नीरज त्रिपाठी भी खेतों में ही रहते हंैं। पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों ने करीब 2500 पौधे भी तैयार किए हैं। इनमें कई फलदार पौधे हैं। कई विभिन्न तरह के मसाले-सब्जियों के पौधे हैं। हर छात्र को उसके लगाए पौधों की पूरी जानकारी होती है। पीएचडी स्कॉलर छात्र गोपी अंजना बताते हैं कि उन्होंने सात साल तक क्लास रूम में ही रहकर पढ़ाई की। लेकिन जो तकनीक खेत में आकर प्रैक्टिकल से सीखने को मिली है वह क्लास रूम में नहीं थी। छात्रा पुष्पलता डाबर कहती हैं कि थ्योरेटिकल पढ़ाई करने में कई बार समझ में नहीं आता था कि फसलों को ऐसा क्यों हो रहा है। मौसम में परिवर्तन आने से फसलों को किस तरह से नुकसान हो सकता है। अब फील्ड में ही जाकर यह सक सीखने का मौका मिल रहा है।