14 की उम्र में हुए हादसे में खो बैठा था याददाश्त, 21 साल बाद याद आई तो लौटा घर

उदयपुर । किशोरवस्था में दुर्घटना में याददाश्त चले जाना और 21 साल बाद अचानक याददाश्त लौटने की बात पर एकबारगी यकीन नहीं होता लेकिन ऐसा उदयपुर जिले के एक व्यक्ति के साथ हुआ है। जिले के कोल्यारी गांव में 35 साल का एक युवक जब अपने परिवार और परिजनों के बारे में पूछने लगा तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि वह 21 साल पहले का शंकरलाल है। ग्रामीण उसे उसके घर लेकर पहुंचे तो परिजन भी उसे पहचान नहीं पाए लेकिन बूढ़ी मां की थकी आंखों ने उसे पहचान लिया कि वह उसी का बेटा है। इन 21 सालों में घर, परिवार और गांव की सूरत बदल चुकी है। वृद्ध मां कांता और बेटा शंकरलाल एक-दूसरे से मिलकर घंटों रोते रहे, जबकि परिवार के बाकी सदस्य शंकरलाल को पहचान नहीं पा रहे थे। शंकरलाल ने बताया कि जब वह चौदह साल का था तब जयपुर के पास ट्रक दुर्घटना में उसकी याददाश्त चली गई। जिसके बाद वह घर और परिवार वालों के बारे में सब-कुछ भूल गया था। इसके बाद वह जयपुर जिले के ढोडसर कस्बे में रहने लगा। जहां उसने ड्राइवरी सीख ली और खलासी के रूप में काम करने लगा। पिछले पांच साल से वह ढोडसर में गोपाल गुर्जर नामक ड्राइवर के साथ रहने लगा। पांच दिन पहले अचानक शंकरलाल को अपने घर, गांव और परिजनों को लेकर याददाश्त लौट आई। उसने गोपाल गुर्जर को बताया तो उसने उसे घर जाने को कहा। वह कोल्यारी गांव आ गया लेकिन यहां 21 सालों में सब कुछ बदल गया। वह गांव भर घूमा लेकिन अपने घर को पहचान नहीं पाया। वह यह जानता था कि उसके पिता का नाम रमणलाल सुथार है। पानरवा तिराहे पर सोकर उसने रात काटी और वहां जब ग्रामीण एकत्रित हुए तो उसने अपने परिजनों के बारे में पूछताछ शुरू की। तब ग्रामीण उसे अपने साथ लेकर उसके घर पहुंचे। पता चला कि उसके पिता का सात साल पहले देहांत हो चुका है। वह अपनी मां कांता को पहचान गया लेकिन बाकी परिजनों को वह नहीं जानता। वहां मां के अलावा अन्य परिजन एक-दूसरे को देखकर आश्चर्य में पड़े हुए थे। शंकरलाल ने बताया कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर उसके पिता शादी के बाद अपने ससुराल कोल्यारी में ही बस गए थे। पढ़ाई में रूचि नहीं होने पर वह बचपन से बस-ट्रक पर खलासी का कार्य करने लगा था।

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