कोरोना की वजह से विदेश में पढ़ाई को लेकर छात्रों का मोह भंग

भारतीय छात्र विदेश यात्रा, वहां अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा और रहने की व्यवस्था को लेकर दुविधा में हैं। लॉकडाउन से बिगड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के कारण वे रोजगार और वेतन की संरचना को लेकर भी बेहद चिंतित हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में विदेश पढ़ने की योजना बनाने वाले 61 फीसदी भारतीय छात्रों ने फिलहाल अपनी योजना स्थगित कर दी है।दुनियाभर में फैले कोरोना के प्रकोप के कारण भारतीय छात्रों को भी अपनी उच्च शिक्षा संबंधी योजनाएं बदलनी पड़ रही हैं। विदेश जाने के बदले अब देशी शिक्षा संस्थानों में पढ़ने की ओर उनका रुझान बढ़ रहा है। इसकी वजह भारत की तुलना में अन्य देशों में कोरोना की भयावह स्थिति है। भारतीय छात्रों के बारे में अलग-अलग आंकड़ों के अनुसार, क्यूएस ने बताया कि सर्वे में शामिल हुए लगभग आधे लोगों (49 प्रतिशत) ने स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) स्तर (एमबीए, मास्टर डिग्री और स्नातक डिप्लोमा) के लिए योजना बनाई है, 19 प्रतिशत लोगों ने स्नातकोत्तर के दौरान अनुसंधान (मास्टर और पीएचडी) के लिए अध्ययन करने की योजना बनाई है और 29 प्रतिशत विदेश में स्नातक की पढ़ाई करना चाहते हैं। शेष अंग्रेजी भाषा के अध्ययन, फाउंडेशन कोर्स और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

Related Articles

Back to top button