सनातन व हिन्दू धर्म विरोधी बयान पर इंडिया गठबंधन दलों का सर फुटोवल
विपक्षी दलों के गठबंधन को शुक्रवार को भी अपने साथी हिंदू और सनातन विरोधी नेताओं के बड़बोले बयानों पर सफाई देनी पड़ी।
विपक्षी 28 दलों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया। विपक्षी दलों के इस गठबंधन का इरादा केंद्र की सत्ता से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को उखाड़ फेंकना है। विपक्षी दलों के गठबंधन की पटना, बेंगलुरु और मुंबई में तीन बैठक हो चुकी हैं, लेकिन मोदी के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह विपक्ष का गठबंधन आपसी टकराव से ही जूझता नजर आ रहा है। एक तरफ अभी तक सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो सका है। वहीं, सनातन और हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं के जहरीले बयानों पर ही सफाई देनी पड़ रही है। विपक्षी दलों के गठबंधन को शुक्रवार को भी अपने साथी हिंदू और सनातन विरोधी नेताओं के बड़बोले बयानों पर सफाई देनी पड़ी।
भोपाल में न्यूज चैनल आजतक के कार्यक्रम में कांग्रेस के नेता कमलनाथ से सनातन को मिटा देने के डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान पर सवाल किया गया। कमलनाथ को इस पर मंच से कहना पड़ा कि कोई कुछ कहे, लेकिन सब जानते हैं कि हमारा देश सनातन धर्म का है। कमलनाथ ने ये भी कहा कि सनातन धर्म कहता है कि सबको साथ लेकर चलो। सुनिए सनातन धर्म पर कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का बयान।
एक तरफ कमलनाथ अपनी पार्टी के सहयोगी दल डीएमके की तरफ से सनातन पर उठाए गए विवाद पर अपनी बात कह रहे थे, तो वहीं, बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल आरजेडी के नेता और नीतीश कुमार सरकार में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपनी पार्टी के नेता और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को नसीहत देनी पड़ गई। दरअसल, चंद्रशेखर का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो रामचरितमानस को खतरनाक जगह पोटेशियम साइनाइड बता रहे थे। इससे पहले भी चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था।
बहरहाल, इन सब विवादों के अचानक तेजी पकड़ने से विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए मुश्किल पैदा होती दिख रही है। हिंदू और सनातन विरोधी बयानों को भाजपा ने मुद्दा बना लिया है। दक्षिण के कुछ राज्यों को छोड़ दें, तो लोकसभा में ज्यादातर सीटें उत्तर भारत से हैं। ऐसे में अगर भाजपा इस हिंदू और सनातन विरोधी विपक्षी गठबंधन के बयानों को मुद्दा बनाने में कामयाब हो गई, तो इससे विपक्ष को लोकसभा चुनाव में एकजुट होने के बावजूद एक बार फिर जोर का झटका लग सकता है।
आपको बता दें कि यह विवाद शुरू हुआ जब चेन्नई में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ के कार्यक्रम में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि कुछ चीज़ों का विरोध नहीं किया जा सकता, उनका खात्मा किया जाना चाहिए। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया और कोरोना का विरोध नहीं किया जा सकता। उनका उन्मूलन किया जाता है। इसी तरह सनातन धर्म का भी खात्मा किया जाना चाहिए।
उदयनिधि को इस बयान के चलते महागठबंधन ” इंडिया ” में ही समर्थन नहीं मिल रहा है। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बयान पर कहना था कि हम सर्वधर्म सम्भाव में विश्वास रखते हैं। कांग्रेस इसी विचारधारा में विश्वास रखती है, लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि हर राजनीतिक पार्टी के पास अपने विचार रखने की आजादी है। हम सभी की मान्यताओं का सम्मान करते हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ के उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने सनातन धर्म की बात करते हुए कहते है कि सनातन धर्म भारत में सदियों से चला आ रहा है। इसने अनेकों परिस्थितियों को देखा है। हजारों साल से जो विचार विद्यमान रह सकता है, वो अत्यधिक गहरा होता है, क्योंकि कुछ दिन तक कुछ विचार चलते हैं और छूट जाते हैं। सनातन धर्म की गहराइयां, वेद पुराणों की परंपरा और उसका ज्ञान अद्वितीय है। दुनिया में वेद के ज्ञान के सार से बड़ा ज्ञान का कोई सोर्स नहीं है।
” इंडिया ” में शामिल अहम पार्टी ममता बनर्जी की टीएमसी ने भी इस बयान से दूरी बना ली है। ममता बनर्जी ने इस बयान पर कहना है कि मेरे मन में तमिलनाडु के लोगों को लेकर काफी सम्मान है, लेकिन मेरी गुजारिश है कि हर धर्म की भावना अलग होती है। इंडिया सेक्युलर और लोकतांत्रिक देश है। मैं सनातन धर्म का सम्मान करती हूं। मैं चर्च, मंदिर, मस्जिद जाती हूं। हमें ऐसी चीजों में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे किसी की भावना को ठेस पहुंचे।
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणा्ल घोष ने इस बयान पर कहा था कि हम ऐसे बयानों की निंदा करते हैं। हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए। सद्भाव हमारी सभ्यता रही है। इंडिया गठबंधन का ऐसे बयानों से कोई नाता नहीं है। चाहे कहने वाला कोई भी हो, हमें ऐसे बयानों की निंदा करनी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव भले ही सर्वधर्म सद्भाव की बात कर रहे हों, लेकिन दूसरे राज्यों में कांग्रेस के ही कुछ नेताओं का उदयनिधि को समर्थन मिल रहा है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे का भी नाम शामिल है। प्रियांक ने उदयनिधि के बयान पर सहमति जताते हुए कहा था कि ऐसा कोई धर्म जो बराबरी की बात ना करता हो, जो मानवता के सम्मान की बात ना करता हो, मेरे ख़्याल से वो बीमारी की तरह ही है।
सनातन धर्म पर बयान देने वालों में उद्धव ठाकरे की नेता प्रियंका चतुर्वेदी का भी नाम शामिल है। इस बयान का विरोध करने वाली पार्टी भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रियंका का कहना था कि भाजपा अपनी राजनीति के लिए सनातन धर्म को लेकर झूठी चिंता जता रही है। इससे उनकी बीमार और दोमुंहा रणनीति का पर्दाफाश हो चुका है। एक तरफ भाजपा -गठबंधन सरकार महाराष्ट्र में अपने हक के लिए लड़ रहे सनातनियों पर लाठी चार्ज कराती है, लेकिन सनातनी धर्म पर नकली चिंता जताती है। ये लोग और उनका दिमाग छोटा है। इसलिए वे बैठ जाएं और चुप रहें।
सारी बहस और बयानों के बीच सवाल इस बात का है कि क्या विपक्ष के गठबंधन में शामिल डीएमके के नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि ने अपने ही खेमे के पाले में गोल मार लिया है? दरअसल भाजपा उनके इस बयान को हिंदू विरोध के तौर पर पेश कर रही है। उत्तर भारत के राज्यों में ये बड़ा संवेदनशील मुद्दा है। हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा इस समय प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता की अगुवाई में लगातार दो-दो लोकसभा चुनाव जीत चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय हैं तो 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में चेहरा सीएम योगी हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की छवि हिंदूवादी पार्टी की है। बिहार और झारखंड के उलझे जातिगत समीकरणों में हिंदुत्व का मुद्दा भाजपा के मनमाफिक है।
यही वजह है कि उदयनिधि के बयान का क्या असर हो सकता है कांग्रेस इसको बेहतर समझ रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सीधी टक्कर भाजपा से ही है। ऐसे में उदयनिधि के बयान पर कांग्रेस की सफाई मजबूरी भी है। मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस पूरी तरह से सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा ले रही है। यूपी में भी समाजवादी पार्टी किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से विवाद अभी थमा नहीं है। कोई भी पार्टी चुनाव से पहले बहुसंख्यक यानी हिंदुओं को नाराज करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है।
उदयनिधि के इस बयान के बाद भाजपा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है। इस बयान को लेकर ख़ुद विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में बेचैनी है। कई दलों ने ख़ुद को इस बयान से अलग कर लिया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और आम आदमी पार्टी ने तो तुरंत ही ख़ुद को डीएमके नेता के बयान से अलग कर लिया। टीएमसी ने तो उदयनिधि के बयान की आलोचना भी की और कहा कि विपक्षी गठबंधन का ऐसे बयानों से कोई संबंध नहीं है। उधर भाजपा और मोदी सरकार इस मसले पर आक्रामक तेवर में दिख रही है।
हाल ही में ख़बर आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक में कहा कि सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के बयान का ठीक से जवाब दिया जाए। इसके बाद स्वयं ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार सनातन पर हो रहे विरोधी दलों के हमलों पर खुलकर बात की। मोदी ने साफ कहा कि विरोधी दलों ने एक गठबंधन बनाया है, इस गठबंधन का एक ही लक्ष्य है, एक ही मकसद है – सनातन को खंड खंड करना, सनातन को खत्म करना, भारतवर्ष की हजारों सालों की सनातन परंपराओं को छिन्न भिन्न करना। मोदी ने कहा कि ये वक्त की मांग है कि संगठन की ताकत से सनातन को बचाना है। मोदी मध्य प्रदेश के बीना में पचास हजार करोड़ रु। की योजनाओं का उदघाटन और शिलान्यास करने का बाद एक जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। मोदी ने बात शुरू की, विरोधी दलों के गठबंधन से। कहा, कि विरोधी दलों का जो गठबंधन बना है, उसके नेताओं ने मुंबई में हुई मीटिंग में यही तय किया है, यही लक्ष्य रखा है कि सनातन पर हमले करो, सनातन को बदनाम करो, सनातन को खंडित करो, सनातन को खत्म करो। सनातन को खत्म करने की बात डी एम के के नेता, तमिलनाडु सरकार में मंत्री, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने शुरू की थी। कहा था कि सनातन के विरोध से काम नहीं होगा, सनातन को जड़ से खत्म ही करना पड़ेगा, सनातन का समूल नाश जरूरी है। मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने उदयनिधि का समर्थन किया, फिर ए।राजा ने उदयनिधि की बात को आगे बढ़ाया। उसके बाद तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के। पोनमुडी ने सनातन पर हमला किया, लेकिन इंडिया अलायन्स में शामिल किसी पार्टी ने कड़े शब्दों में न तो सनातन पर हमलों का विरोध किया, न डी एम के के नेताओं को मुंह बंद रखने को कहा।
अब सवाल ये है कि क्या इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के गठबंधन को कोई नुक़सान होगा? आने वाले तीन-चार महीनों में पांच राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। अब सवाल यह है कि क्या इन राज्यों में सनातन धर्म के मुद्दे पर विपक्ष में जो आपस में ही सिर फुटोवल हो रही है उससे विपक्षी एकता में दरार पड़ जाएगी ?