डायल 112 में अब 1.30 लाख कॉल रिसीव की जा सकेंगी: स्पेशल डीजी-नई कंपनी को हुआ टेंडर, पहले से और अधिक अलर्ट किया जा रहा डायल 112 को

वर्ष 2016 में यूपी-112 सेवा को आरम्भ  किया गया जिसमें निरन्तर तकनीकी उन्नयन व आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। https://youtu.be/AYZ4_ZlLqSI?si=GAfoEJs5FhD4MFYo ताकि यूपी 112 को और अधिक जनपयोगी बनाया जा सके। वर्ष 2023 से यूपी-112 के द्वितीय चरण का संचालन सफलतापूर्वक आरम्भ किया जा रहा है। यूपी-112 के प्रथम चरण में  4800 पीआरवी थी। जिसे शासन के निदेशार्नुसार द्वितीय चरण में बढ़ाकर 6278 पीआरवी किया जायेगा। इससे जहां प्रथम चरण में लगभग 50.68 वर्ग किमी. पर एक पीआरवी उपलब्ध थी वहीं द्वितीय चरण में यह क्षेत्र घटकर 38.75 वर्ग किमी. रह जायेगा ।  

स्पेशल डीजी लॉ एंड आॅर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी 112 हेल्पलाइन को अपग्रेड करने के बाद 1.30 लाख कॉल रिसीव की जा सकेंगी। कॉल ड्रॉपिंग में कमी आएगी। इसके लिए कॉल टेकर्स की संख्या को 673 से बढ़ाकर 825 किया जा रहा है। डायल 112 में नई कंपनी का टेंडर हो गया है। नई कंपनी ने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों की कहीं कोई कमी नहीं है। किसी प्रकार की कोई सेवा बाधित नहीं हो रही है। नई कंपनी प्रदर्शन कर रही महिला संविदा कर्मियों से बात कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ यूपी 112 की तरफ से जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि नई सेवा प्रदाता कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वी-विन लिमिटेड श्रम आयुक्त द्वारा निर्धारित वेतन दर एवं अन्य अनुमन्य व सुसंगत अधिनियमों व नियमों के अधीन सुचारू रूप से यूपी-112 को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। द्वितीय चरण में  पीआरपी वाइकल  ट्रैकिंग सिस्टम होगा, जिसके प्रयोग से कॉलर के पास जीपीएस लिंक का रियल टाइम मैसेज जायेगा, जिससे कॉलर पीआरवी की लोकेशन अपने फोन में ट्रैक कर देख सकेगा कि पुलिस सहायता उस तक कितनी देर में पहुंच रही है । शासन के निदेशार्नुसार यूपी-112 को अन्य हेल्पलाइन नम्बरों जैसे- सीएम हेल्पस लाइन 1076, एनएचएआई हेल्पलाइन 103, सेफ सिटी, स्मार्ट सिटी आदि से एकीकृत किया जायेगा, जिससे नागरिकों को कई सेवाओं के लिये एकल नम्बर सम्पर्क की सुविधा उपलब्ध होगी। वर्तमान  पीआरई तकनीक को एसआईपी एवं सीएडी प्रणाली में उच्चीकृत करते हुये सिस्टम की कॉल हैंडलिंग की क्षमता को वर्तमान 50-60 हजार से 1.25-1.30 लाख तक बढ़ाया जा सकेगा, जिससे कॉल ड्रॉपिंग घट जायेगी और अधिक से अधिक लोगों की कॉल यूपी-112 में लग सकेगी । प्रथम चरण में जहां 673 संवाद अधिकारी जनमानस का फोन रिसीव करते थे अब उनकी संख्याा बढ़ाकर 825 की जा रही है, जिससे विभिन्न  प्रकार के कॉल को अधिकतम संख्या  में लिया जा सके । द्वितीय चरण में सभी पीआरवी के लिये बॉडी वार्न कैमरे प्रस्तावित किये गये हैं एवं महत्वपूर्ण व संवेदनशील क्षेत्रों में 688 पीआरवी के लिये वाहन पर कैमरा लगवाये जायेंगे।

इससे किसी भी घटना के साक्ष्य एकत्र करने एवं सही विवेचना करने में सहायता मिलेगी ।वर्ष 2017 में यूपी-112 का औसत रिस्पांस टाइम 25 मिनट 42 सेकेण्ड था वह अब वर्ष 2023 में घटकर औसतन 9 मिनट 18 सेकेंड रह गया है । वर्ष 2018 में प्रदेश के सुदूर, दुर्गम एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जनमानस को त्वकरित पुलिस सहायता प्रदान किये जाने हेतु यूपी-112 की फ्लीट में 1600 दो पहिया पीआरवी वाहन शामिल किये गये। शासन के निदेशार्नुसार महिला हेल्पूलाइन 1090, वीमेन एण्ड  चाइल्ड  हेल्पसलाइन 181, मेडिकल हेल्पलाइन 108, जीआरपी, फायर सर्विसेज, स्मार्ट सिटी, लखनऊ एवं साइबर हेल्पसलाइन 1930 को यूपी-112 के साथ एकीकृत किया गया ।इसके अतिरिक्त सवेरा योजना में लगभग 15 लाख 30 हजार वरिष्ठ नागरिकों का पंजीकरण किया जा चुका है एवं लगभग 2000 महिलाओं को रात्रि स्कोर्ट सेवा के माध्यम से सहायता प्रदान की जा चुकी है । यह काफी सराहनीय कदम माना जा रहा है।  रिस्पांगस टाइम में इस उल्लेखनीय सुधार, फ्लीट में बढोत्तरी एवं त्वसरित कार्रवाई के फलस्व रूप वर्ष 2016 से 2022 तक, विभिन्ने अपराधों में एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार निम्न  प्रकार से कमी आयी।

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