Hit And Run Law -सड़क हादसों के लिए कठोर कानून तो चाहिए ही, लेकिन यह भी समझे सरकार

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लेकिन क्या कानून को दोष देना चाहिए: ट्रक चालकों की दलीलों में दम तो है, लेकिन कानून को दोष देना उनकी परेशानियों का समाधान नहीं है। एक सख्त कानून की जरूरत है। सड़क दुर्घटनाओं में भारत दुनिया में सबसे आगे है। वर्ष 2022 में हिट एंड रन मामलों में लगभग 59 हजार लोग मारे गए, जो सड़क हादसों में कुल मौतों का लगभग 30त्न है। महाराष्ट्र में 2022 में हर घंटे एक व्यक्ति की हाइवे एक्सिटेंड में मृत्यु हुई, जो 2021 की तुलना में 14त्न अधिक है। इसमें कोई शक नहीं कि लापरवाही से गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों की देश में कोई कमी नहीं है, जिनको नियम-कानूनों की कोई परवाह नहीं होती है।
असली समस्या के समाधान की जरूरत: ट्रक चालकों को झूठे मुकदमे का डर है। पूरे देश में पुलिसिंग क्वॉलिटी वास्तव में खराब हो गई है। इसके अलावा, कई गंभीर कारक दुर्घटना का कारण बनते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2020 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में इसी सटीक पहचान की। उन्होंने कहा, दुर्घटनाओं और सड़क हादसों के मुख्य कारण खराब रोड इंजीनियरिंग, गलत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), चौक-चौराहों की गलत डिजाइनिंग, संकेतों और रोड चिह्नों का अभाव आदि हैं। यही तो असल मुद्दा है। इसलिए, केवल कठोर दंड से ही सड़कों को सुरक्षित बनाने का मकसद सही नहीं है। सड़कों और राजमार्गों को ठीक कर दिया जाए तो कानून को नरम करने की ट्रक चालकों की मांग का बहुत कम महत्व रह जाता है। तब सरकार भी ड्राइवरों पर दबाव बना सकती है।

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