Sonipat- जीवन में सुख के साथ दुख भी जरुरी:रमेश मुनि

Sonipat- श्री एस.एस जैन सभा गन्नौर मंडी के जैन स्थानक में प्रवचन

सभा में राष्ट्र संत रमेश मुनि जी महाराज ने कहा कि जीव आत्मा के अपने कीये कर्मों

के अनुसार फल मिलता है। जीवन में सुख के साथ थोड़ा दुख भी जरूरी है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि जैसे कोई मीठा ही मीठा खाए तो

खाते-खाते वह ऊब जाता है, मीठे के साथ बीच में थोड़ा नमकीन भी जरूरी है, वैसे ही सुख

के बीच में थोड़ा दुख भी जरूरी हैं, दरअसल दुःख मनुष्य के ही कृत कर्मों का फल है,

जो रो कर भोगता है ,वह अज्ञानी है, और जो हंसकर भोगता है वह ज्ञानी है, सुखी जीवन का

राज है कि जो हमारे पास है उसका आनंद लो जो नहीं है उसकी चिंता मत करो, तुम्हारे जेब

में 90 रुपये हैं तो उसका सुख भोगो 10 कम है इसका दुख मत करो। अपने 100 करने के चक्कर

में वर्तमान को छोड़ भविष्य की सोच कर वर्तमान को भी खराब कर रहे हो। इसलिए 100 के चक्कर

में मत पड़ो क्योंकि यह पूरे 100 कभी नहीं होते हैं।

मुकेश मुनि जी महाराज ने कहा कि मनुष्य

को मन को समझाने का प्रयास करना चाहिए, मन का हमारे अस्तित्व के साथ गहरा संबंध है।

मन शांत है तो अच्छे कार्य होंगे मन भटकता है अर्थात मन अशांत है तो बने हुए कार्य

भी बिगड़ सकते हैं। मन को नियंत्रण में रखने में शांति का अनुभव होता है। तप दिवाकर

श्री मुदित मुनि जी महाराज ने भी भजन के माध्यम से अपने भाव रखे उन्होंने कि प्रवचन

सुबह 8:30 से 9:45 तक प्रतिदिन जैन स्थानक में णमोकार महामंत्र का प्रतिदिन 12 घंटे

का अखंड जाप चलता है।

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