पूर्व प्रधानमंत्री Man Mohan Singh का निधन, AIIMS दिल्ली में ली अंतिम साँस

Delhi : पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता Man Mohan Singh का गुरुवार को निधन हो गया। मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। एम्स के सूत्रों के मुताबिक उनकी हालत गंभीर है। उनका इलाज कई डॉक्टरों की टीम कर रही है। उनके अस्पताल में भर्ती होने का कारण अभी पता नहीं चल पाया है। वो दिल्ली AIIMS में भर्ती थे, रॉबर्ट वाड्रा ने ट्वीट कर मनमोहन सिंह के निधन की जानकारी दी। निधन के दौरान मनमोहन सिंह के पत्नी एम्स में मौजूद थी। कुछ देर ही में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पूर्व प्रधानमंत्री को देखने AIIMS पहुंचेंगे। नड्डा के विजिट को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली AIIMS के अंदर और बाहर सुरक्षा बढ़ाई गई है।

मनमोहन सिंह भारत के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 1991 में राज्यसभा में प्रवेश किया था, उस साल जून में पीवी नरसिम्हा राव सरकार के तहत वित्त मंत्री बनने के कुछ समय बाद ही। 2019 में राजस्थान जाने से पहले वे उच्च सदन में पांच कार्यकालों तक असम का प्रतिनिधित्व करते रहे। संसद में उनके अंतिम शब्द नोटबंदी की कड़ी आलोचना थे, उन्होंने इसे “स्वीकृत और वैध छापेमारी” बताया था।

डॉ. मनमोहन सिंह, भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के मनीषी, का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह गाँव में हुआ था। उनका जीवन सादगी, विद्वता और देशसेवा का अद्वितीय उदाहरण है। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आया और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त कर अर्थशास्त्र में पीएचडी की।

उल्लेखनीय योगदान:
डॉ. सिंह 1991 में वित्त मंत्री बने और भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरे संकट से उबारते हुए उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति शुरू की। उनकी नीतियों के परिणामस्वरूप लाइसेंस राज समाप्त हुआ, विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिला, और आर्थिक वृद्धि दर में तेज़ी आई। उदाहरणस्वरूप, भारतीय आईटी उद्योग का तेजी से विकास उनके सुधारों का ही परिणाम है।

प्रधानमंत्री (2004-2014) के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक योजनाओं की शुरुआत की। मनरेगा ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी दी, जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया। परमाणु ऊर्जा समझौता (Indo-US Nuclear Deal) उनके नेतृत्व की एक बड़ी उपलब्धि थी, जिसने भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से सुनिश्चित किया।

उनकी विनम्रता और सादगी ने उन्हें एक “आदर्श नेता” बनाया। आलोचना के बावजूद, उन्होंने अपनी धैर्य और गहरी समझ से भारत के विकास को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनका जीवन हमें दिखाता है कि सादगी और विद्वता के साथ भी महान कार्य किए जा सकते हैं।

डॉ. सिंह का निधन भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी नीतियाँ और उनका व्यक्तित्व हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

 

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