ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस: वाराणसी कोर्ट में आज हिंदू पक्ष रखेगा अपनी दलीलें

वाराणसी। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में मामले की पोषणीयता को लेकर चल रही सुनवाई लगातार जारी है. 4 जुलाई से फिर से शुरू हुई जिला जज न्यायालय में सुनवाई अब दिल्ली चल रही है. 12 जुलाई को मुस्लिम पक्ष ने इस पर अपनी बहस पूरी की थी और उसके बाद से लगातार हिंदू पक्ष अपनी बातें रख रहा है. गुरुवार को भी सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कानून के मुताबिक दलीलें पेश करते हुए ज्ञानवापी परिसर को मस्जिद मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना था यह हमारे देवता की संपत्ति है और देवता अमर होते हैं, इसलिए उनकी संपत्ति और किसी की हो ही नहीं सकती. इसलिए हमें वहां पूजा का अधिकार दिया जाए और इस मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकृत किया जाए. आज फिर सुनवाई शुरू होगी।

कल हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हरिशंकर जैन ने ज्ञानवापी समेत संपूर्ण काशी विश्वनाथ परिषद को देवता का स्थान और स्वामित्व वाला बताया है. उनका कहना था कि कानून के मुताबिक देवता और उनके निहित संपत्ति अमर होती है. भले वहां से देवता को हटा दिया जाए लेकिन वह समाप्त नहीं हो सकती. ज्ञानवापी में पूजा पाठ होता रहा है, इसलिए अभी वहां पूजा का अधिकार है. अदालत ने इस प्रकरण पर सुनवाई पूरी होने के बाद शुक्रवार यानी आज दोपहर की तिथि फिर से सुनवाई आगे बढ़ाने के लिए निर्धारित की है.गुरुवार को सुनवाई के बाद अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि अब अभी इस मामले में हिंदू पक्ष अपनी बातें रख रहा है और शुक्रवार को भी यह बहस हिंदू पक्ष ही आगे बढ़ाएगा. बता दें कि 5 महिलाओं की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र को सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हिंदू पक्ष अपनी दलीलें पेश कर रहा है. मुस्लिम पक्ष इसे सुनवाई योग्य नहीं मान रहा है, जबकि हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कल काशी विश्वनाथ एक्ट के सेक्शन 2 की बातें कोर्ट के सामने रखी थीं.

उनका कहना था कि भूखंड संख्या 9130 जो विवादित परिसर है वह देवता की संपत्ति है वर्ष 1947 के बाद से वर्ष 1993 तक लगातार हिंदू उक्त जगह पर जिसे ज्ञानवापी कहते हैं. पूजा-पाठ और सारे धार्मिक कार्य करते रहे हैं. इस बात को वर्ष 1937 में दीन मोहम्मद केस में 15 गवाहों ने भी कहा था. गवाहों का साफ तौर पर कहना था कि इस जगह पर हम श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी, समेत तमाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवताओं की पूजा करते रहे हैं. तहखाने के हिस्से में व्यास जी पूजा करते थे. इस तरह पूरा हिस्सा हिंदुओं के कब्जे में रहा है।
वर्ष 1993 में बैरिकेडिंग होने के बाद वहां हिंदुओं को जाने से रोक दिया गया. हरिशंकर जैन ने इसी एक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें यह बात लिखी गई है कि इस एक्ट के खिलाफ जो भी फैसले हुए हैं. वह शून्य हो जाते हैं इस तरह दीन मोहम्मद के केस में भी हुआ फैसला सुनने हो जाता है. वकील हरिशंकर जैन ने अदालत के सामने जस्टिस बीके मुखर्जी, डॉ पीवी काने और सरकार के हिंदू ला को एक बार फिर से रखा है. जिसमें मूर्ति देवता मंदिर और देवता की संपत्ति और उनके अधिकार के बारे में बताया गया है. हिंदू पक्ष के वकीलों ने अपनी कल दी गई दलील में विवादित भूखंड का जिक्र करते हुए कई पुराने केस का हवाला भी दिया है।

इस पर प्रतिवादी पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने आपत्ति जताई है. उनका कहना था कि वादी पक्ष के वकील जो भी दलील दे रहे हैं. वह गलत है, काशी विश्वनाथ एक्ट के मुताबिक काशी विश्वनाथ परिसर को लेकर किया गया कोई फैसला मान्य नहीं होता है. इस पर हरिशंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन 13 एविडेंस एक्ट को सामने रखते हुए कहा कि नए मामले में पुरानी दवाई का फायदा ले सकते हैं और पुराणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कई पुराण भी कोर्ट के सामने रखें जिसमें ज्ञानवापी में पूजा पाठ की बात मौजूद है।

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