New Delhi: कटघरे में आम आदमी पार्टी, अपने ही उधेड़ रहे बखिया
New Delhi: दिल्ली… एक ऐसा प्रदेश जिसे लेकर राजनितिक हलचल होती ही रहती है, और उसका सबसे बड़ा कारण है दिल्ली का पूर्ण राज्य न होना। प्रदेश के ढेरों पावर्स अभी भी केंद्र सरकार के हाथों में है, मायने दिल्ली सरकार अभी भी बहुत सारे डिसीजन्स गवर्नर के सिग्नेचर के बिना नहीं ले सकती। इन सब चीजों के चलते दिल्ली और केंद्र की सरकार के बीच हमेशा अनबन चलती ही रहती है। बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होने का ख़्वाब संजोये बैठी है तो अन्ना आंदोलन को ढाल बना कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी पर तीसरी टर्म आते-आते कई बड़े घोटालों के आरोप लग चुके है। जिसमें सबसे बड़ा मामला शायद शराब नीति घोटाला ही होगा। इस मामले में अबतक ED और सीबीआई कई लोगो को तलब कर चुकी है। खुद आप मुखिया अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी इसमें घिरे हुए है, दोनों को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ गया। इतने दुखों के बीच अब आप के एक और बड़े नेता ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। चलो पार्टी छोड़ी तो छोड़ी अपने इस्तीफे में पार्टी पर कई गंभीर आरोप भी लगा दिए। अब इस बात पर तो बस एक पुरानी कहावत ही याद आती है। एक तो गरीबी ऊपर से आंटा गीला। खैर मामले की गंभीरता को बरक़रार रखते है और पूरी कहानी से पर्दा उठाते है। नमस्कार मेरा नाम है कृष्णा और आप देख रहे है यूनाइटेड भारत। …
जबसे आतिशी मार्लेना दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनी है तबसे आम आदमी पार्टी में अंतरकलह की बातें उठने लगी है और इन बातों पर आखिरी मुहर लगा दी आप नेता कैलाश गहलोत ने…. सॉरी-सॉरी अब तो पार्टी छोड़ दी है न… आप नेता नहीं, बीजेपी नेता कैलाश गहलोत ने (सोचते हुए)-“पर अभी बीजेपी ज्वाइन तो की नहीं है “… खैर छोड़ों सिर्फ कैलाश गहलोत ने…. तो मुद्दे पर आते है, गहलोत ने आम आदमी पार्टी से रिजाइन कर दिया है, और अपने इस्तिफ़े आप की जमकर बखिया उधेड़ी है।
उन्होंने अपने लेटर में लिखा कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर हावी हो गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं। उदाहरण के लिए यमुना को ही लें, जिसे हमने स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन कभी पूरा नहीं कर पाए। अब यमुना नदी शायद पहले से भी ज़्यादा प्रदूषित हो गई है। इसके अलावा, अब ‘शीशमहल’ जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने पर विश्वास करते हैं। एक और दर्दनाक बात यह रही है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम केवल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। इसने दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएँ देने की हमारी क्षमता को भी बुरी तरह से कमज़ोर कर दिया है। अब यह स्पष्ट है कि यदि दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है तो दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सकता। मैंने अपनी राजनीतिक यात्रा दिल्ली के लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता के साथ शुरू की थी और मैं इसे जारी रखना चाहता हूं। यही कारण है कि मेरे पास AAP से अलग होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है और इसलिए मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
गहलोत के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई, आप मुखिया अरविन्द केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में गहलोत के सवाल पर झिझक गए। आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही गहलोत की नाराज़गी जगजाहिर हो गई थी क्यूंकि अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफे के बाद एक नाम कैलास गहलोत भी थे जिन्होंने दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का सपना पाल रखा था। अब ऐसे में उनसे लड्डू छीन किसी और बच्चे को दे दिया जाये तो वो बिफर तो जायेंगे ही। फ़िलहाल आम आदमी पार्टी ये पोट्रे कर रही है कि ये सारी बीजेपी की चाल है, जाँच एजेंसियों का डर दिखा कर गहलोत को आपने पीला में खींचा लिया है।
New Delhi: also read-
वैसे बता दें कि बीजेपी हमेशा डीटीसी घोटाले का नाम लेकर गहलोत पर सवाल खड़े करती आई है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है की अगर कैलाश बीजेपी में शामिल हो जाते है तो क्या ये घोटाले ठन्डे बस्ते में चले जायेंगे या फिर इनपर जाँच होगी। अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में बताइयेगा। बांकी वीडियो को शेयर और चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलियेगा।